Big Breaking: अजित पवार को मिली पार्टी और चुनाव चिन्ह, चुनाव आयोग ने विवाद पर सुनाया फैसला
नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विवाद पर अपना निर्णय सुना दिया है। इसके तहत आयोग ने अजित पवार गुट (Ajit Pawar) को असली एनसीपी मानते हुए पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह दे दिया है। आयोग के इस निर्णय से शरद पवार (Sharad Pawar) को बड़ा झटका लगा है। वहीं आयोग ने पवार गुट को सात फ़रवरी तक नई पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह बताने का आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि, जुलाई 2023 में अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ राज्य की महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। इसके कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो भागो में बाँट गई थी। एक हिस्सा अजित गुट तो दूसरा हिस्सा शरद पवार गुट के साथ रहा। इस दौरान दोनों गुट खुद को असली एनसीपी बताते हुए चुनाव आयोग पहुंच गए थे।
करीब 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एनसीपी में विवाद का निपटारा करते हुए अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। अपने फैसले सुनाते समय आयोग ने याचिका की रखरखाव के निर्धारित परीक्षणों का पालन किया, जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल रहा।
सात फ़रवरी तक नई पार्टी का नाम और चिन्ह बताएं
हालांकि, आयोग ने अपना निर्णय सुनाते हुए शरद पवार को कई रियायत दी है। इसी के साथ आयोग ने उन्हें सात फ़रवरी को दोपहर तीन बजे तक नई पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह बताने का आदेश दिया है। आयोग के निर्णय से अजित गुट में ख़ुशी की लहर है, वहीं दूसरी तरफ चाचा शरद पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। आयोग के निर्णय के बाद शरद पवार का अगला कदम क्या होगा सभी का ध्यान लग गया है।
आयोग के निर्णय का करते हैं स्वागत
चुनाव आयोग द्वारा दिए निर्णय पर अजित पवार की पहली प्रतिक्रिया आई है। अजित पवार ने ट्वीट कर दी ये प्रतिक्रिया। अजित पवार ने कहा है कि, "हम विनम्रतापूर्वक चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार करते हैं।"
शरद पवार ही पार्टी: जयंत पाटिल
आयोग के निर्णय पर शरद पवार गुट ने भी अपनी बात कही है। जयंत पाटिल ने कहा, "चुनाव आयोग का ये फैसला चौंकाने वाला है। एनसीपी के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय शरद पवार जी के हाथ से पार्टी छीनी जा रही है। चूँकि देश की लगभग सभी संवैधानिक संस्थाएँ अपनी स्वायत्तता खो चुकी हैं, इसलिए स्पष्ट है कि तर्कहीन निर्णय देकर तकनीकी कारणों को सामने रखा गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम इस परिणाम का विस्तार से अध्ययन करेंगे और इस पर टिप्पणी करेंगे। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और हमें यकीन है कि देश की सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगी।"
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