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Mahashivratri 2022 : महाशिवरात्रि की पूजा में करें इन चीजों का प्रयोग


Mahashivratri 2022: भगवान शिव की पूजा का पवित्र पर्व महाशिवरात्रि आने वाला है. इस दिन जो भक्त शिवजी की चार पहर की पूजा करते हैं, महादेव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. महाशिवरात्रि का महापर्व 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन शिवजी की पूजा के दौरान कुछ चीजों को वर्जित माना गया है, जिन्हें भूल से भी शिवजी को अर्पित नहीं करना चाहिए.

Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि शिव पूजा का सबसे पावन पर्व माना गया है . इस बार ये पर्व 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन शिवालयों में भक्तों का भारी भीड़ उमड़ती है. शिव पूजा में बहुत सी ऐसी चीजें अर्पित की जाती हैं जो अन्‍य किसी देवता को नहीं चढ़ाई जातीं, जैसे- आक, बिल्वपत्र, भांग आदि. इसी तरह शिव पूजा में कई ऐसी चीजें होती हैं जो आपकी पूजा का फल देने की बजाय आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं…

1. हल्‍दी– हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.

2. नारियल पानी– नारियल पानी से भगवान श‌िव का अभ‌िषेक नहीं करना चाह‌िए क्योंक‌ि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसल‌िए सभी शुभ कार्य में नारियल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है. लेक‌िन श‌िव पर अर्प‌ित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है.

3. कुमकुम या रोली: शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है. महादेव वैरागी हैं और वे अपने माथे पर राख लगाते हैं. इसके अलावा रोली लाल रंग की होती है. लाल रंग को उत्तेजित करने वाला माना जाता है.

4. फूल: भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं. शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने निषेध माना गया है.

5. शि‍व पूजा में वर्जित है शंख– शंख भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं लेकिन शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है.

6. तुलसी दल– तुलसी का पत्ता भी भगवान श‌िव को नहीं चढ़ाना चाह‌‌िए. इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है ज‌िसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी. श‌िव जी ने जलंधर का वध क‌िया था इसल‌िए वृंदा ने भगवान श‌िव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी.