ओबीसी समाज के 27 फीसदी राजकीय आरक्षण को केंद्र बचा सकता है-तायवाड़े

नागपुर- ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राजनीतिक हलचल फिर एक बार तेज हो गई है.सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगर चुनाव होता है तो इससे भविष्य में ओबीसी समाज के लिए संविधान द्वारा स्थानिक स्वराज्य संस्था के लिए आरक्षित 27 फीसदी आरक्षण को धक्का लगेगा। कुछ इसी तरह का तारिक राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ द्वारा दिया जा रहा है.महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय ओबीसी समाज के लिए बहुत बड़ा धोखा है.और अगर इस निर्णय के तहत चुनाव होते है तो भविष्य में ओबीसी को संविधान में मिला संरक्षण ख़त्म हो जायेगा। तायवाड़े के मुताबिक जिस तरह की स्थिति बनी है ऐसे में सिर्फ और सिर्फ इस आरक्षण को केंद्र सरकार बचा सकती है वो भी संविधान में संसोधन कर.इसलिए तायवाड़े ने फिर एक बार केंद्र सरकार से निवेदन किया है कि ओबीसी समाज को राजनितिक आरक्षण देने वाली संविधान की धारा 283 d(6) और c(6) में संसोधन किया जाये। तायवाड़े का यह भी कहना है कि सर्वोच्च अदालत के ट्रिपल टेस्ट के आदेश के पालन के साथ भी कोई भी राज्य सरकार 27 फीसदी आरक्षण को नहीं बचा सकती।क्यूँकि संविधान में आरक्षण की मर्यादा 50 फ़ीसदी की है.इसे बढ़ाना पड़ेगा।

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