गैरमर्द के साथ रहना मानसिक क्रूरता: हाईकोर्ट

नागपुर: अगर कोई महिला अपने पति को छोड़कर दूसरे पुरुष के साथ रहती है तो यह मानसिक क्रूरता है। यह देखते हुए कि ऐसी महिला सीआरपीसी की धारा 125 (4) के तहत भरण-पोषण की हकदार नहीं है, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने फैमिली कोर्ट के भरण-पोषण देने के फैसले को रद्द कर दिया।
क्या है मामला?
नागपुर के रहने वाले इस जोड़े ने साल 2000 में शादी की थी। ग्यारह साल तक दोनों का वैवाहिक जीवन अच्छे से चलता रहा। लेकिन में 2011 में अचानक पत्नी संदिग्ध रूप से घर से गायब हो गई। जिसको लेकर पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस जांच के दौरान पता चला कि गायब पत्नी पुणे जिले के बारामती तहसील के एक गांव किसी अन्य मर्द के साथ रह रही है। इस बात की जानकारी मिलते ही पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक का मुकदमा कर दिया। उसने व्यभिचार और मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी। हालांकि, पति ने पत्नी को सात हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का भी आदेश दिया। पति ने उसे चुनौती दी।
पति अपना दावा सही साबित करने में विफल
पति यह साबित करने में विफल रहा कि महिला ने एक गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाए । हालांकि, दोनों पक्षों के पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बिना वजह पति को छोड़कर किसी अजनबी के साथ रहना मानसिक क्रूरता है। अतः ऐसी महिला भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

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