दो साल बाद नागपुर में मनाया गया मारबत उत्सव

नागपुर- उपराजधानी राज्य नागपुर वर्षो से अपनी सांस्कृतिक पहचान को जी रही है.नागपुर के कई ऐसे अनोखे उत्सव मनाये जाते है जो सिर्फ देश में यही मनाये जाते है. इन्ही में से एक है मारबत उत्सव,तन्हा पोला के दिन पुराने शहर मध्य नागपुर के इतवारी भाग में मारबत का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है.इसका इतिहास लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है.बीते दो वर्ष कोरोना के चलते लगी पाबंदियों की वजह से मारबत उत्सव नहीं मनाया गया लेकिन इस वर्ष नियमों की शिथिलता के चलते इसे धूम धाम से मनाया गया.इस वर्ष नागरिकों में अधिक उत्साह दिखाई दिया।
मारबत उत्सव की परंपरा का महत्व
नागपुर में मारबत उत्सव मनाये जाने की परंपरा भोसले कालीन है.यह उत्सव सामाजिक अच्छाई और बुराई का प्रतीक है.पीली मारबत समृद्धि,विकास,अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है और काली मारबत अवगुणों की.आस्था और मान्यता है की पीली और काली मारबत के आशीर्वाद से दुखों-कष्ट का नाश होता है.इसलिए एक वाक्य बोला जाता है इड़ा-पीड़ा घेऊनजा गे मारबत (यानि दुःख-दर्द अपने साथ ले जा मारबत ) इस उत्सव के लिए महीनें भर से तैयारियां शुरू हो जाती है.आयोजन समिति इसमें अपना सक्रिय योगदान निभाती है.नागरिक काली और पीली मारबत के दर्शन करते है और बच्चों को आर्शीवाद दिलाया जाता है.इतवारी इलाके के एक भाग से काली मारबत जबकि एक अन्य भाग से पीली मारबत की सवारी निकलती है.शहीद चौक पर एक जगह दोनों का मिलन होता है.दोनों मारबत गले मिलती है जिसके बाद उत्सव संपन्न होता है.
बडग्या आकर्षण का केंद्र
मारबत उत्सव के दौरान शहर के कई भागों से बडग्या निकाले जाते है.एक खास क़िस्म के संदेश के साथ बडग्या निकाला जाता है.महंगाई,भ्रष्टाचार अन्य बुराइयों पर केंद्रित बडग्या निकालें जाते है.इनमें से कई विषय विवादास्पद भी होते है.
उत्सव पर बन चुकी है फिल्म
नागपुर में मनाये जाने वाला मारबत उत्सव इतना प्रसिद्ध है की इसकी ख्याति देश भर में हो चुकी है.इस उत्सव को लेकर फिल्म भी बन चुकी है और कई गाने भी बन चुके है.कई फिल्मों में मारबत उत्सव का फ़िल्म में दृश्यांकन हो चुका है.

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