बावनकुले-बावनकुले करके क्या होगा प्रशांत पवार अपनी सरकार से पूछे सवाल

नागपुर- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और जय जवान जय किसान संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार ऊर्जा मंत्रालय के मातहत होने वाले भ्रष्टाचार को लेकर मुखर है.वो लगातार लंबे समय से कोल वाशरी के माध्यम से हजारों करोड़ रूपए का भ्रस्टाचार होने का आरोप लगा रहे है.दो दिन पहले तो पवार द्वारा ली गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को ही लपेटे में ले लिया था और आरोप लगाया था की कोल वाशरी का निर्णय उनके ही मंत्री रहते हुए लिया गया.बावनकुले ने पवार के इस आरोप का जवाब दिया है और कहाँ है कि पवार हमेशा बावनकुले-बावनकुले कहते रहते है अगर उन्हें इस पर सवाल पूछना है तो अपनी सरकार से पूछे और अगर उन्हें लगता है की भ्रष्टाचार हुआ है तो सरकार से कहकर जांच कराये उनके पास आर्थिक अपराध शाखा है,एंटी करप्शन ब्यूरो है,पुलिस है यहाँ तक की ऊर्जा विभाग की खुद की विजिलेंस टीम है.बावनकुले के मुताबिक अगर इस भ्रष्टाचार को लेकर प्रशांत पवार उन्हें लिखित में पत्र देते है तो वह खुद इस विषय को विधान भवन में उठायेंगे।
बावनकुले ने यह मंजूर किया कि कोल वाशरी का निर्णय उनके ही कार्यकाल में लिया गया था.पवार के जवाब पर कोल वाशरी के महत्व को समझते हुए बावनकुले ने कहाँ की पवार को पढाई कर यह समझने की जरूरत है की कोल वाशरी आवश्यक क्यूँ है.बावनकुले के मुताबिक बिजली बनाने का लिए इम्पोर्टेड कोल का इस्तेमाल होता है क्यूँकि उसकी इफिशिएंसी अच्छी होती है,राज्य के बिजली घरों में देसी कोयला और इम्पोर्टेड का मिश्रण कर इस्तेमाल किया जाता है जिसकी कीमत पांच हजार मैट्रिक टन होती है.जबकि बिजली विभाग जो इम्पोर्टेड कोल आयात करता है उसकी कीमत 7 हजार के आस पास आती है.अगर देसी कोयले को ही वाश कर लिया जाये तो उसकी गुणवत्ता बेहतर हो जाती है इसका सीधा फायदा यह होता है की प्रति मेट्रिक टन ढाई हजार रूपए बच सकती है.उनके मंत्री रहते समय कोल वाशरी का निर्णय लिया गया था अगर भाजपा की राज्य में वापस सरकार आती तो कोल वाशरी शुरू भी हो जाती।

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