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राणा दंपत्ति पर 'राजद्रोह' का मुकदमा गलत, मुंबई सेशंस कोर्ट की टिप्पणी


मुंबई: अमरावती के सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को मुंबई सत्र न्यायालय ने जमानत देते हुए बेहद अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि उन पर लगाई गई राजद्रोह की धारा गलत है। अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस मामले में धारा 124(अ) का इस्तेमाल गलत है। जिसके एक दिन बाद राणा दंपत्ति गुरुवार को जेल से बाहर आए थे। अदालत के इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर फिर से उंगलियां उठना शुरू हो चुकी है। न सिर्फ सरकार बल्कि मुंबई पुलिस पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं। इसके पहले भी राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह मौत मामले में मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर जमकर निशाना साध चुकी है। बीजेपी (BJP) की तरफ से अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि महाविकास अघाड़ी सरकार पुलिस का अपने फायदे के लिए दुरुपयोग कर रही है।

अब यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि अदालत की इस टिप्पणी के बाद राज्य में एक बार फिर से सत्ता पक्ष बनाम विपक्ष की लड़ाई शुरू हो सकती है। अदालत ने जमानत देते हुए राणा दंपत्ति पर तीन शर्ते लगाई थीं। जिनमें प्रमुख शर्त यह है कि वे मीडिया से बात नहीं कर सकते। हालांकि अदालत की टिप्पणी के बाद राणा दंपत्ति का अगला कदम क्या होगा? इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। फिलहाल इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि राणा दंपत्ति इस संदर्भ में ऊपरी अदालत या फिर केंद्र सरकार के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। शनिवार के दिन रवि राणा दिल्ली जाने वाले हैं। जहां वो बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात भी करेंगे।

क्या बोले उज्जवल निकम?
देश के जाने-माने वकील उज्जवल निकम के मुताबिक राजद्रोह की धारा अंग्रेजों के जमाने से है। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए इस धारा को अस्तित्व में लाया गया था। आजादी के बाद इसमें संशोधन भी किया गया था। बीते कई वर्षों से इसपर विचार विमर्श भी शुरू है। निकम ने कहा कि यह धारा रहे या ना रहे, जिसको लेकर एक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। किसी के लिखने या बोलने की मर्यादा पार होने पर इस धारा का इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल इसपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। उन्होंने कहा कि इस धारा के अंतर्गत लगाई जाने वाली शर्तों में संशोधन और पुनर्विचार करने के लिए जरूरत है।

राणा दंपत्ति के पास क्या विकल्प
मुंबई सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रोकड़े के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय में राजद्रोह की धारा का दुरुपयोग और गैर इस्तेमाल होने का आरोप किया गया था। संविधान के जानकारों के मुताबिक आजादी मिलने के बाद संविधान ने देश के नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार दिया है। ऐसे में उन अधिकारों पर राजद्रोह की धारा की वजह से अतिक्रमण किया जा रहा है। कई जगहों पर केंद्र और कहीं राज्य की तरफ से इस धारा का गैर इस्तेमाल किया जा रहा है। उज्जवल निकम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का भी यह कहना है कि अपने खिलाफ में उठने वाली आवाज़ को दबाने के लिए इस धारा का इस्तेमाल करना गलत है। फ़िलहाल यह कहा जा रहा है कि शनिवार के दिन रवि राणा दिल्ली जाने वाले हैं। जहां वो बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात भी करेंगे। वहीं राणा दंपत्ति इस संदर्भ में ऊपरी अदालत या फिर केंद्र सरकार के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।