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अमरावती में 'सीसीआई' की कपास खरीदी फिर बंद; अगले आदेश तक बंद रहेगी खरीद, कपास की बढ़ती खरीद के कारण लिया गया निर्णय


अमरावती: सीसीआई ने गुरुवार 6 मार्च से अमरावती में सीसीआई के माध्यम से कपास की खरीद अचानक बंद कर दी है, जिससे कपास किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि सीसीआई ने पहले 11 फरवरी से अमरावती में कपास की खरीद बंद कर दी थी। इसके बाद 28 फरवरी को अमरावती जिले के केंद्रों पर कपास की खरीद शुरू की गई। महज छह दिन बाद ही अमरावती के 4 केंद्रों पर खरीदी अगले आदेश तक रोक दिए जाने से किसान कड़ी नाराजगी जता रहे हैं।

कपास का मौसम लगभग समाप्त हो चुका है। कपास की दूसरी खेप के बाद सीसीआई ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए 11 फरवरी से कपास की खरीद बंद कर दी। तकनीकी कारण यह बताया गया कि पोर्टल में दिक्कतें थीं। लेकिन, बताया जा रहा है कि केंद्रों पर आने वाली कपास की मात्रा कम होने की आशंका के चलते यह खरीद बंद कर दी गई है। 

इसके बाद किसी तरह 28 फरवरी को दोबारा खरीदारी शुरू हुई। लेकिन ब्रेक सिर्फ छह दिन में ही लग गया। विश्वस्त सूत्र से जानकारी मिल रही है कि क्षमता से अधिक खरीदारी के कारण कपास की गांठें रखने की जगह नहीं है। लेकिन संपर्क करने पर कोई भी संबंधित अधिकारी वास्तविक कारण बताने को तैयार नहीं है।

गारंटीशुदा कीमत हुई कम 

अमरावती एपीएमसी में भातकुली में 2, नंदगांव पेठ में 1 और चांगापुर में 1 ऐसे चार केंद्रों पर सीसीआई के माध्यम से गारंटीकृत मूल्य 7411 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हो रहा था। लेकिन अब घोषणा की गई है कि यह खरीद 6 मार्च से बंद की जा रही है। दो बैचों के बाद मोटे क्वालिटी का कपास बाजार में आता है। 'सीसीआई' ये कपास नहीं खरीदती। पहले दो बैचों से कपास खरीदते समय भी सीसीआई ने दूसरे बैच से कपास की गारंटीशुदा कीमत रुपये कम कर दी।

केंद्र बंद होने का व्यापारियों ने उठाया फायदा 

किसानों ने सबसे पहले सीसीआई को प्राथमिकता दी क्योंकि खुले बाज़ार में गारंटीशुदा दर से कम दर थी। पहली खेप का अधिकांश कपास सीसीआई द्वारा गारंटीशुदा दरों पर खरीदा गया है। इसलिए निजी बाजार में कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है। दूसरे बैच से कुछ कपास व्यापारियों द्वारा खरीदा गया है। इस बीच सीसीआई ने कपास की खरीद बंद कर दी। इसका फायदा उठाते हुए व्यापारियों ने यह कहते हुए कपास में कटौती शुरू कर दी है कि फसल में प्रति एक किलो में दो किलो तक कम रुई निकल रही है। सीसीआई को 34 किलोग्राम तक कपास के अर्क की आवश्यकता होती है। कुछ किसानों को 38 किलो तक कपास का उतारा हुआ है।