महंगाई के कारण किसानों का आर्थिक गणित चरमरा, नए साल में खाद की बढ़ती कीमतों का भी करना पड़ रहा सामना

अमरावती: खाद, बीज, श्रम की बढ़ी हुई दरें, प्राकृतिक आपदाओं की निरंतर श्रृंखला और ‘नो-गारंटी’ ने किसानों की वित्तीय स्थिति खराब कर दी है। किसानों के लिए खेती महंगी हो गई है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे बलिराजा को अब नये साल में खाद की बढ़ती कीमत का सामना करना पड़ेगा।
बेमौसम बारिश, बदली, बाढ़, फसल बीमा की कमी, क्षतिग्रस्त बाढ़ वाली सड़कें, प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। किसानों को उनके द्वारा उगाई गई उपज की गारंटीशुदा कीमत कभी नहीं मिलती। अब रासायनिक उर्वरक बनाने वाली विभिन्न कंपनियों ने फॉस्फेट रॉक, फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया, नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर, जिंक जैसे कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि का हवाला देते हुए रासायनिक उर्वरकों की कीमतें बढ़ाने का संकेत दिया है।
तो ऐसे संकेत हैं कि किसान एक बार फिर मुसीबत में फंसने वाले हैं। किसानों को संतुष्ट करने के लिए दरें कम करने की मांग की जा रही है। ब्याज में छूट केवल तभी मिलनी चाहिए जब खेती घाटे में हो, इसके लिए लाखों नये एवं पुराने कर्जदार किसानों को अल्प प्रोत्साहन अनुदान देकर प्रोत्साहित किया गया।
वर्ष 2008 में फसल ऋण माफी के अलावा कृषि उपकरणों, सिंचाई आदि के लिए लिए गए कृषि ऋण भी माफ कर दिए गए। ऐसे कृषि ऋणों को बाद की ऋण माफी में शामिल नहीं किया गया। इसी के चलते किसान नाराज और साथ ही परेशान भी हैं।

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