समय सीमा बढ़ने के बाद भी खुले बाजार में सोयाबीन की कीमत पर दबाव जारी, प्रति क्विंटल औसत कीमत 4100 रुपये

अमरावती: केंद्र सरकार ने सोयाबीन के लिए सरकारी खरीद की समय सीमा बढ़ा दी है, लेकिन इसका लाभ केवल पंजीकृत किसानों को ही मिलेगा। बाकी किसानों के पास निजी बाज़ार में गिरती कीमतों पर बेचने की नौबत गई है। वहीं, समय सिमा बढ़ने के बाद भी बाज़ार में कीमतें नहीं बढ़ी हैं। बुधवार को स्थानीय बाजार समिति में औसतन 4100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन की खरीदी हुई।
राज्य में अनाज की कमी के कारण रुकी हुई सोयाबीन की खरीद की समय सीमा 12 जनवरी को समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार ने एक बार फिर खरीद की समय सीमा 31 जनवरी तक बढ़ा दी। फिर भी स्थानीय बाजार में सोयाबीन की कीमत में गिरावट जारी है।
अमरावती कृषि उपज बाजार समिति में बुधवार को 7 हजार 77 क्विंटल सोयाबीन की आवक हुई। न्यूनतम 4 हजार और अधिकतम 4 हजार 213 रुपये यानी औसत दर 4 हजार 106 रुपये प्रति क्विंटल रही। बीते 11 जनवरी को 7 हजार 539 क्विंटल की आवक हुई, न्यूनतम दर 3 हजार 950, अधिकतम 4 हजार 212 यानि औसत 4 हजार 81 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला था। इसका मतलब पिछले तीन-चार दिनों में सोयाबीन की कीमत में सिर्फ 10 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
विदर्भ की अन्य बाजार समितियों में भी यही स्थिति है और कई जगहों पर सोयाबीन का औसत खरीद मूल्य 4000 से कम है। हालांकि इस सीजन में सोयाबीन का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन किसान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उन्हें गारंटीशुदा कीमत पर खरीदारी करनी चाहिए क्योंकि खुले बाजार में 350 से 4000 रुपये का भाव मिल रहा है। वहीं, 'नाफेड' द्वारा 12 प्रतिशत नमी की शर्त लगाए जाने से अब तक पंजीकृत सात लाख 49 हजार किसानों में से केवल दो लाख 5 हजार 539 किसानों से ही सोयाबीन खरीदी गई है।

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