सोयाबीन किसानों नहीं सुन रही सरकार, किसान नाफेड सोयाबीन खरीद की समय सीमा बढ़ाए जाने का कर रहे इंतजार

अमरावती: विधानसभा चुनाव में सोयाबीन की कीमतों का मुद्दा काफी चर्चा में रहा। सत्ता में वापस आई महायुति ने सोयाबीन के लिए सात हजार रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य देने का वादा किया था। लेकिन वह कीमत नहीं मिली। नाफेड की आखिरी खरीद तारीख 6 फरवरी थी। हालांकि, किसानों की मांग के बावजूद सरकार ने नाफेड से खरीद शुरू नहीं की है। इसके चलते सोयाबीन किसानों को प्रति क्विंटल 900 से 1200 रुपए का नुकसान हो रहा है। नाफेड की खरीद बंद होते ही व्यापारियों ने कीमतें घटा दी हैं। जिसके चलते अमरावती सहित पूरे राज्य में किसान आक्रामक हो गए हैं।
विदर्भ में मुख्य फसल सोयाबीन है, जो इस खरीफ सीजन में लगभग 34 प्रतिशत क्षेत्र में बोई गई है। नाफेड के तहत सोयाबीन का सरकारी मूल्य 4892 रुपये है। 6 तारीख को नैफेड ने सरकारी खरीद बंद कर दी। हालांकि, अकेले अमरावती जिले में ही 2,000 किसान सोयाबीन बेचने से वंचित हैं।
किसानों के बार-बार अनुरोध के बावजूद, नाफेड को समय-सीमा नहीं बढ़ाई गई। इसलिए किसान राजा केंद्र व राज्य सरकार के प्रति रोष व्यक्त कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि उन्हें प्रति क्विंटल एक हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों की मांग है कि सरकार को बिना किसी देरी के नाफेड से खरीद शुरू करनी चाहिए।

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