Amravati: किसानों ने 65 से 70 प्रतिशत फसल बेंची, दाम नहीं बढ़ने से किसान निराश
अमरावती: जिले में इस वर्ष अब तक करीब साढ़े सात लाख क्विंटल कपास की बिक्री हो चुकी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जिले में उत्पादित कुल कपास का 65 से 70 प्रतिशत हिस्सा किसानों ने अब तक बेच दिया है। हालांकि, बंपर उत्पादन और बिक्री के बावजूद, कपास के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई, जिससे किसान निराश हैं।
विदर्भ को "सफेद सोने की धरती" कहा जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छे उत्पादन के बावजूद दाम कम रहने से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। बाजार में कपास की आवक शुरू होने के बाद से ही निजी व्यापारियों द्वारा 7 हज़ार से 7,500 रूपए प्रति क्विंटल के बीच दाम दिए जा रहे हैं। शुक्रवार को अमरावती के निजी बाजार में 7,200 रूपए प्रति क्विंटल का अधिकतम भाव दर्ज किया गया। जिससे किसानो में निराशा देखि जा रही है।
कपास की फसल को तैयार होने में छह महीने या उससे अधिक समय लगता है। अन्य फसलों की तुलना में इसकी खेती महंगी होती है, और इसमें श्रम लागत भी अधिक होती है। इसके बावजूद, बाजार में उचित दाम नहीं मिलने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चार साल पहले अमरावती में कपास के दाम 12 से 13 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंची थी।
वहीं, कुछ समय तक किसानों को 9 हज़ार रूपए प्रति क्विंटल का भाव भी मिला था। लेकिन इस साल शुरुआत से ही दाम 7,500 के ऊपर नहीं गए। किसानों को उम्मीद थी कि मार्च महीने में कपास के दामों में बढ़ोतरी होगी, लेकिन पहला हफ्ता बीतने के बावजूद बाजार में कोई बदलाव नहीं आया है। ऐसे में जिन किसानों ने अब तक कपास नहीं बेचा है, वे कीमतों में इजाफे की आस लगाए बैठे हैं। जिले के किसानों की मांग है कि सरकार हस्तक्षेप कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू करें, ताकि उन्हें उनकी फसल का उचित दाम मिल सके।
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