Amravati: काली मिट्टी की जगह लाल मिट्टी का प्रयोग, ग्रामीणों ने लगाया आरोप
चिखलदरा. तहसील के बागलिंगा में जल संसाधन विभाग के अंतर्गत 16 करोड़ रुपये की लागत से सात मिलियन क्यूबिक मीटर स्टोरेज क्षमता वाले बांध का काम चल रहा है. काम घटिया स्तर का है, और कमजोर होता जा रहा है. इस कार्य में भारी मात्रा में अनियमितता बरती जा रही है. 40 से 50 ग्रामीणों ने इस बांध का कार्य बंद कर दिया है, और उनका आरोप है कि इस कार्य में काली मिट्टी की जगह लाल मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है तथा भारी मात्रा में पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है और इस बांध में सीमेंट कांक्रीट का काम भी किया जा रहा है.
हालांकि स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इस काम में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, साथ ही इस काम में पानी नहीं डाला जा रहा है, जबकि पूरा काम किया जाना चाहिए. यह बांध फटे नहीं और इस बांध से किसी को नुकसान न हो इसके लिए जांच कराकर कार्य अच्छे से किया जाए. 16 करोड़ रुपए जल संसाधन विभाग के माध्यम से इस कार्य पर खर्च किए जाएंगे और यह कार्य 1 मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा, हालांकि ठेकेदार का लक्ष्य है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि काम जल्द से जल्द और बेहतरीन गुणवत्ता से पूरा किया जाए.
ग्रामीणों को दे मुआवजा
बागलिंग के ग्रामीणों का फोन आया तो वह डैम पर गये थे, काम को अच्छा बनाने के लिए काली मिट्टी का प्रयोग अधिक मात्रा में और उच्च गुणवत्ता वाला होना चाहिए सामग्री का उपयोग किया जाए। साथ ही बांध से प्रभावित होने वालों को मुआवजा दिया जाए और ग्रामीणों को मुआवजा दिया जाए. मेलघाट के पूर्व विधायक राम काले ने कहा कि बिजली की डीपी बांध के अंदर आ गई है, और उसे दूसरी तरफ स्थानांतरित किया जाना चाहिए. और बांध का कार्य उत्कृष्ट होना चाहिए ताकि बांध न फटे और संबंधित विभाग इस बात का ध्यान रखे कि नागरिकों को कोई जान या आर्थिक नुकसान न हो.
वेतन न बढ़ने से मजदूर नाराज
बांध के काम के लिए एक ट्रक पर चालक तैनात था, वे दो साल से काम कर रहे थे, लेकिन वेतन नहीं बढ़ा तो वे नाराज हो गए और उन्होंने ग्रामीणों और सरपंच को जानकारी देकर कार्य स्थल पर लाकर काम बंद कर दिया. अमरावती के जल संसाधन विभाग के उप अभियंता सोमा इंदुरकर ने कहा कि यह उत्कृष्ट गुणवत्ता प्राप्त काम हो रहा है, और रात में काम नहीं करते हैं, दिन में ही काम करते हैं.
ग्रामीणों में भय का वातावरण
बागलिंगा में बांध का कार्य घटिया स्तर का है तथा बांध के कार्य पर काली मिट्टी का प्रयोग दर्शाने के लिए काली मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, अंदर पूरी लाल मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, तथा बड़े-बड़े पत्थर भी फेंके जाते हैं, अत: इस बांध के फटने की सम्भावना रहती है. इस बांध के फूटने से कितने गांव क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, और ग्रामीणों में भी भय का माहौल है ऐसी जानकारी बागलिंग की सरपंच निर्मला धांडेकर ने दी.
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