Chandrapur: नागभीड तहसील में जोरो से चल रहा अवैध खनन, सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना

चंद्रपुर: नागभीड तहसील में अवैध खनन और खनिज तस्करी के कारोबार ने कहर बरपा रखा है और प्रशासन की ओर से राजस्व विभाग की अनदेखी कर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।
तलोढ़ी ऊपरी तहसील में गढ़ौना-सावरगांव-कन्हालगांव-ब्रह्मणी सड़क के किनारे भरन और गोसेखुर्द नहर के कार्यों के लिए रोजाना 10 से 20 ट्रक मुरुम का परिवहन किया जा रहा है। वहीं बिना वन विभाग की अनुमति के बिना वन क्षेत्र से होते हुए सड़कें बनाई जा रही हैं। इस दौरान पेड़ो को भी अवैध तरीके से काटा जारहा है।
नहर और सड़को का हो रहा निर्माण
इस क्षेत्र में गोसीखुर्द खुर्द नहर व सीमेंट कांक्रीट रोड का कार्य प्रगति पर है। नदी के तल के बीच से रेत की खुदाई की जाती है और क्षेत्र में पौधों पर अवैध रूप से डंप किया जाता है। ऊपरी तहसील में सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण के लिए रेत की तस्करी की जा रही है। लगातार हो रही अवैध उत्खनन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। साथ ही मुख्य सड़क के किनारे अवैध बालू के ढेर लगे होने पर भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसलिए संबंधित विभाग के राजस्व मंत्री से नागरिकों द्वारा नागभीड तहसील में अवैध रूप से मुरुम-रेत का उपयोग करने वाले ठेकेदारों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।
वास्तव में कौन जिम्मेदार है?
अवैध खनन व परिवहन, तस्करी में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई ठंडी है। प्रशासन के करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। खनिज माफिया कार्रवाई से नहीं डर रहे हैं। किसी भी राजस्व अधिकारी वर्ग, पुलिस अधिकारी वर्ग और वन अधिकारी का जिक्र नहीं होने से दिन-रात मुरुम-रेती यातायात चल रहा है। साथ ही हाइवा ट्रकों से बिना नंबर प्लेट के खनिजों का परिवहन करने पर पुलिस महकमे चुप्पी साधे हुए है।
कब होगी कार्रवाई
जब मुख्य सड़क से खनिजों का परिवहन हो रहा है तो पेट्रोलिंग पुलिस, तलाठी, तहसीलदार, वन विभाग के कर्मचारी जांच व कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? और किसान, ग्रामीण लोग घर के काम के लिए थोड़ी मात्रा में रेत लाते हैं, तो कार्रवाई की जाती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका आम नागरिकों को मलाल है।

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