Chandrapur: पेट की भूख मिटाने मजदुरों का पलायन, निजी वाहनों का सहारा

- दुर्घटना की संभावना, जवाबदारी किसकी
चिमूर. चिमूर तहसील में धान की फसल बड़ी मात्रा में ली जाती है। किंतु अभी धान की फसल की कटाई को समय है। इसलिए स्थानीय मजदूर और नागरिक काम की तलाश में बाहर जा रहे है। इसके लिए मजदूर निजी वाहनों का सहारा ले रहे है। जिससे दुर्घटना की संभावना बढ जाती है। यदि ऐसे में कोई दुर्घटना होती है किसी प्रकार की जनहानि के लिए जिम्मेदार कौन होगा? तहसील में बडे पैमाने पर धान की पैदावार की जाती है। धान की फसल को अभी कटाई का समय है। क्योंकि तेज धूप के बाद ही धान पककर काटने को तैयार होता है।
अब मजदुरों के पास काम न होने की वजह से बाहरी जिले में कपास और सोयाबीन की पैदावार की जाती है इसलिए मजदूर रोजगार की तलाश में पडोसी जिले और राज्य की ओर पलायन कर रहे है। इसके लिए निजी वाहनों का सहारा ले रहे है। अनेक वाहनों में क्षमता से अधिक मजदूर होने की वजह से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। ऐसे में कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। कुछ ही दिनों में दीपों का पर्व है कई दिनों से मजदूर खाली बैठे है परिवार के भरण पोषण के लिए जो वाहन मिल रहे है उसमें सवार होकर काम के लिए जा रहे है।
तहसील में उद्योग न होने का असर
राजनीतिक और देश की आजादी में अपना योगदान रखने वाले चिमूर में कोई उद्योग कल कारखाना न होने की वजह से प्रतिवर्ष मजदुरों को इसी प्रकार पलायन कर रोजगार की तलाश में जाना पडता है. चिमूर जिला के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने वालों ने आज तक तहसील मुख्यालय और आस पास कोई रोजगार नहीं ला सके है। इसकी वजह से प्रतिवर्ष चिमूर के मजदुरों को आस पास के जिले और पडोसी राज्यों में रोजगार की तलाश में जाना पडता है। किसी बडी दुर्घटना के पूर्व संबंधित विभाग से इस ओर ध्यान देने की अपील नागरिकों ने की है।

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