Chandrapur: माजरी के शिवमंदिर परिसर मे दो बाघ, किसानों ने नदी में कूदकर बचाई जान

- बाघ ने बैल को किया घायल
- माजरी परिसर मे बाघ की दहशत
- वनविभाग कर रहा है लापरवाही
चंद्रपुर: जिले के माजरी में सरे आम बाघ नजर आरहे हैं, जिससे लोगों बेहद डरे हुए हैं। शनिवार को वर्धा नदी किनारे पाटाला निवासी मारुति धागड़ी किसान के खेत के पास दो बाघ दिखाई दिए। बाघों को देख किसानों ने नदी में कूदकर अपनी जान बचाई। वहीं बाघ के हमले में एक बैल गंभीर रूप से घायल हो गया है। ज्ञात हो कि, कुछ दिनों पहले सरे आम बाघ युवक दीपू महतो को उसके घर के सामने उठाकर ले गया और उसे मार डाला था। , जिसके बाद क्षेत्र में बाघों को लेकर दहशत बढ़ गई है।
वर्धा नदी किनारे कोना गाव है, वहां के तीन किसान गणेश खामनकर ,रमेश खामनकर, सुनील खामनकर अपने बैलो को चराने नदी पार कर माजरी के शिवमंदिर से पाटाला की तरफ गए थे। चारों एक जगह एक पेड़ के नीचे छांव में बैठे थे। तभी गणेश खामनकर अपने बैलो को देखने जा रहा था इसी बीच झाड़ियों में छिपा एक धारीदार बाघ निकला और दूसरा आराम करते हुआ दिखा। यह देखते ही गणेश ने चिल्लाना सुरु किया और तीनों नदी में कूद गए और अपने गांव पहुंचे।
वहां पहुंचते ही तीनों ने अन्य ग्रामीणों को बाघ होने की जानकारी दी। बाघ होने की सूचना मिलते ही सैकड़ो की तादाद में ग्रामीण हाथों डंडा लेकर उन्हें भागने पहुंचे। हालांकि, तब तक शेर ने गणेश खामनकर के बैल पर भी हमला कर चूका था। बाघ ने अपने पंजों से बैल के पीठ को खरोंच दिया। बैल घायल हो गया है। किसानो के साथ साथ पूरे परिसर में लोग भी बहुत डर गए है।
इसके बाद घटना की जानकारी वन विभाग को दी गई। इस बीच, यवतमाल जिले के पंढरकवाड़ा में वन विभाग के अधिकारियों ने कोना गाव में जाकर निरीक्षण किया। भद्रावती के वन विभाग द्वारा भी रोज गस्त लगाया जा रहा है।
एक महीने में बाघ ने ली दो की जान
दो दिन पहले चंद्रपुर यवतमाल जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में वर्धा नदी के किनारे भुरकी-रंगना क्षेत्र में बाघ ने एक अन्य व्यक्ति की हत्या कर दी थी। बाघ के हमले की दो वारदात हो चुकी है । वनविभाग बाघो को जंगल की ओर क्यों नहीं खदेड़ रहा ? बाघ के हमले में क्या वनविभाग और मनुष्य की हत्या चाहता है ऐसी चर्चा हो रही है।

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