एनसीपी-सपा राज्य में निकालेगी ओबीसी जागरूकता मंडल यात्रा, नौ अगस्त को नागपुर से होगी शुरुआत; शरद पवार दिखयेंगे हरी झंडी
नागपुर: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार फिर एक बाद खुद को मजबूत करने में लग गई है। इसी क्रम में एनसीपी-सपा ने राज्य भर में मॉडल यात्रा निकलने का निर्णय किया है। इस यात्रा मुख्य मकसद राज्य के ओबीसी समाज को जागरूक करना और भाजपा के पबीसी विरोधी काम को जनता के सामने लाना है है। यात्रा की शुरुआत नौ अगस्त से नागपुर में होगी। पार्टी के ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष राज राजापुरकर की अगुवाई में शुरू होने वाली इस यात्रा को शरद पवार खुद हरी झंडी दिखाएंगे। रविवार को इस बात की जानकारी एनसीपी नेता सलिल देशमुख ने दी।
सलिल देशमुख ने बताया कि, "पहले चरण में यह यात्रा विदर्भ के 11 जिलों में जाएगी और तहसीलों स्थानों पर सभाएँ भी आयोजित की जाएँगी। यह मंडल यात्रा भाजपा की ओबीसी विरोधी नीति और शरद पवार द्वारा ओबीसी समुदाय के लिए किए गए कार्यों से लोगों को अवगत कराने के लिए आयोजित की जा रही है। मंडल आयोग का कार्यान्वयन ओबीसी के जीवन में सबसे बड़ा सामाजिक परिवर्तन था।"
देशमुख ने कहा, "स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में 1953 में काका कालेलकर आयोग की स्थापना से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह सरकार के दौरान 1993 में मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने और राज्य के मुख्यमंत्री शरद पवार के कार्यकाल में मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने तक, ओबीसी को अपना वाजिब आरक्षण पाने में लगभग 40 साल लग गए। मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने से ओबीसी के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन आया।"
देशमुख ने आगे कहा, "शरद पवार ही राज्य में सबसे पहले मंडल आयोग को लागू करने वाले और ओबीसी समुदाय को आधिकारिक और वाजिब आरक्षण दिलाने वाले व्यक्ति थे। शिक्षा और नौकरियों के साथ-साथ राजनीतिक आरक्षण के माध्यम से ओबीसी समुदाय के युवाओं को महापौर, सरपंच, जिला परिषद अध्यक्ष, स्पीकर और महापौर बनने का अवसर मिला। इसी मंडल आयोग यानी ओबीसी के आरक्षण का विरोध करने के लिए भाजपा ने कमंडल यात्रा निकाली थी।"
एनसीपी नेता ने कहा, "राजनीति में ही नहीं, बल्कि शिक्षा और नौकरियों में ओबीसी का आरक्षण खत्म करने की कई बार कोशिश की गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत देश के सभी विपक्षी दल ओबीसी की जातिवार जनगणना की मांग कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने हमेशा इसका विरोध किया। आखिरकार, दबाव बढ़ने पर केंद्र सरकार ने ओबीसी की जातिवार जनगणना की घोषणा कर दी। लेकिन यह जनगणना कब होगी, इसकी कोई घोषणा नहीं की।"
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