आवारा श्वानो की देखभाल करेगी एनजीओ, मनपा के आवाहन पर कई संगठन आए सामने

नागपुर: उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के आदेश के बाद नागपुर महानगरपालिका ने आवारा श्वानो को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया है। इस दौरान सभी को पकड़कर भांडेवाडी स्थित बने शेल्टर होम में रखा जारहा है। इसी बीच मनपा ने सामाजिक संगठनो और एनजीओ से इन श्वानों की देखभाल करने के सामने आने का आवाहन किया था। मनपा के इस आवाहन पर कई एनजीओ और संगठन सामने आए हैं और मनपा के साथ काम करने को तैयार है। इसी क्रम में शहर की ही एक एनजीओ "राइज" ने भी आगे आकर पकड़े गए श्वान की देखभाल और नसबंदी की जिम्मेदारी संभाली है।
शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में एनजीओ की अध्यक्ष गार्गी वैरागरे ने बताया कि, अदालत के आदेश के बाद महानगर पालिका द्वारा शुरू किये गए काम में उनकी संस्था भी मदत कर रही है।
राइज एनजीओ के मुताबिक शहर में अब भी 1 लाख के अधिक आवारा श्वान मौजूद है यह संख्या बहुत अधिक है.जबकि इससे निपटने के लिए किया जा रहा प्रयास बेहद सीमित है.ऐसे में जरुरी है की पशुप्रेमी,महानगर पालिका और अन्य सामाजिक संस्थाएं साथ आये.राइज संस्था ने महानगर पालिका द्वारा श्वानों के पालकत्व को लेकर जारी की गई गाइडलाइन का भी स्वागत किये है.उनके मुताबिक अगर नागरिक देसी प्रजाति से श्वान का पालकत्व स्वीकारते है तो इस समस्या का हमेशा के लिए ही निदान हो जायेगा।
वैसे नागपुर में स्ट्रीट डॉग के पालकत्व के मिले अनुभव को राइज एनजीओ बेहतर नहीं मानती। उनके मुताबिक अब तक उनकी संस्था ने 3 हजार से अधिक आवारा श्वानों की नसबंदी की है उन्होंने स्वान के पालकत्व का प्रयास किये लेकिन अब तक बमुश्किल 15 श्वानों को पालकत्व मिला।उसमे भी देश के अन्य शहरों के लोगों ने दिलचप्सी दिखाई। आवारा श्वान के नियंत्रण का एकमात्र तरीका नसबंदी है.एक श्वान की नसबंदी में करीब ढाई हजार रूपए का खर्च आता है.ऐसे में अगर नागपुर से इस समस्या को जड़ से ख़त्म करना हो तो सामूहिक प्रयास किये जाना जरुरी है.ऐसा मानना राइज एनजीओ के सदस्यों का है.

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