महाराष्ट्र में हर जिले में बनेगा प्राणी संग्रहालय, वन मंत्री गणेश नाइक ने की बड़ी घोषणा; व्याघ्र परियोजना की तर्ज पर शुरू होगी तेंदुआ परियोजना
नागपुर: महाराष्ट्र के वन मंत्री गणेश नाइक ने मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए एक नई शुरुआत की घोषणा की है। राज्य सरकार अब व्याघ्र (टाइगर) परियोजना की तर्ज पर ‘तेंदुआ परियोजना’ लागू कर रही है, जिसके अंतर्गत हर जिले में प्राणी संग्रहालय बनाए जाएंगे।
नागपुर में वन मंत्री गणेश नाईक ने घोषणा की कि पूरे राज्य के जिलों में प्राणी संग्रहालय (बायोलॉजिकल म्यूज़ियम) विकसित किए जाएंगे, जहाँ तेंदुआ सहित अन्य वन्यजीवों के व्यवहार, संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित विस्तृत जानकारी उपलब्ध होगी। यह संग्रहालय आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुसज्जित होंगे और इन्हें वन विभाग के प्रमुख अनुसंधान केंद्रों से जोड़ा जाएगा।
मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सरकार ने 500 फुट चौड़ी ‘बांस की बाड़’ योजना भी शुरू करने का फैसला किया है, ताकि खेतों व ग्रामीण क्षेत्रों में भटककर पहुंचने वाले तेंदुओं को रोका जा सके। इस पहल से किसानों और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा बढ़ेगी और संघर्ष के मामलों में कमी आने की संभावना है।
इसके अलावा राज्य में तेंदुओं की संख्या 5,000 से बढ़कर 6,000 होने की संभावना के मद्देनज़र उनके संरक्षण व स्थानांतरण के लिए एक विशेष रणनीति भी तैयार की जा रही है। पुणे और ऑरेंजसिटी सेंटर को तेंदुआ प्रबंधन के विशेष प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ विशेषज्ञ टीम मानव–वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगी।
सरकार की यह नई नीति वन्यजीवों की रक्षा, वैज्ञानिक प्रबंधन और ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
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