Aheri Assembly Seat: पिता, पुत्री और भतीजा; परिवार की लड़ाई में किसका खेल बिगड़ेगा और किसका बनेगा, आया सामने

गड़चिरोली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नामांकन के बाद प्रचार की शुरआत हो चुकी है। तमाम नेता, उम्मीदवार जनता तक अपनी बात पहुंचाने में लग गए है। अहेरी विधानसभा न केवल विदर्भ बल्कि पुरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता धर्मराव बाबा आत्राम जहां एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं, वहीं दूसरी तरफ़ उनके सामने उनकी बेटी भाग्यश्री आत्राम खड़ी हुई है। शरद पवार ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है। साथ ही उनके भतीजे राजे अंबरिशराव आत्राम भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। राज्य की राजनीति में यह पहला मौका है जब किसी विधानसभा सीट पर बेटी, पिता और भतीजे के बीच मुकाबला हो रहा है। इस अनोखी लड़ाई के कारण सभी का ध्यान इस सीट पर लगा हुआ है और सभी जानना चाहते हैं आख़िर जनता किसके पक्ष में खड़ी हुई है।
अहेरि विधानसभा सीट का निर्माण 1951 में किया गया। अनुसूचित जनजाति बहुल होने के कारण यहां एक आरक्षित सीट है। विधानसभ का निर्माण पांच तहसीलों को मिलाकर किया गया है। जिसमें अहेरी, मुलचेरा, एटापल्ली, सिरोंचा और भामरागढ़ शामिल है। क्षेत्रफल की बात करें तो अहेरी न केवल विदर्भ बल्कि राज्य की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है। विधानसभा के एक कोने से दूसरे कोने में जाने के लिए 125 किलोमीटर का दायरा तय करना पड़ता है। जिसमें जंगल और पहाड़ों के क्षेत्र भी शामिल है। अहेरी राज्य का नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। आमतौर पर गड़चिरोली जिले को नक्सल प्रभावित माना जाता है लेकिन अब यह सिमटकर भामरागढ तहसील तक सीमित हो चुका है।
विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
विधानसभा की राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 1952 में जब सीट पर चुनाव हुए तब यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार नामदेवराव पोरोदिवार को जीत मिली। वहीं दूसरे और तीसरे पंचवर्षीय में निर्दलीय प्रत्याशी जीता। वर्तमान में विधानसभा सीट पर 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें चार बार कांग्रेस, एक बार भाजपा, दो बार एनसीपी और आठ बार निर्दलीय को जीत मिली हैं। सबसे महत्वपूर्ण इस सीट पर कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार एक ही पार्टी या चिन्ह से चुनाव नहीं जीता है। धर्मराव आत्राम पहले विधायक रहे जिन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की, हालांकि, उन्हें चुनाव चिन्ह बदलना पड़ा। 1999 में जहां वह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव जीते, वहीं 2004 में एनसीपी की टिकट पर उन्हें जीत मिली।
त्रिकोणीय लड़ाई में फांसी सीट, परिवार ने बढ़ाई आत्राम की मुश्किलें
जून 2023 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने अपने चाचा से बगावत करते हुए महाविकास आघाड़ी छोड़ एनडीए की अगुवाई वाली महायुति में शामिल हो गए। उस समय पवार सहीत जिन नौ विधायको को मंत्री बनाया गया उसमें धर्माराव आत्राम भी शामिल हुए। आत्राम चार बार अहेरी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके है। 2024 में पांचवी बार वह मैदान में हैं। हालांकि, अजीत पवार के साथ जाना उनके परिवार में टूट का कारण बन गया। शरद पवार ने पिता के सामने उनकी बेटी भाग्यश्री आत्राम को चुनावी दंगल खड़ा कर दिया है। विधानसभा सीट पर पहली बार ऐसा है जब पिता पुत्री के बीच लड़ाई हो रही है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व राज्यमंत्री राजे अंबरिशराव टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव में उतर गए हैं। अंबरिश धर्मराव के भतीजे हैं। भाजपा द्वारा लगातार उन्हें मनाया जा रहा लेकिन उन्होने नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया है।
किसी भी विधायक के प्रति असंतोष या कहें सत्ता विरोधी लहर होना लाजमी है। ऐसा ही कुछ आत्राम को लेकर भी है। लेकिन परिवार की लड़ाई उन्हें चुनाव में ज्यादा नुकसान देने वाली दिखाई दे रही है। भाग्यश्री का चुनाव में उतरना धर्माराव को सीधे नुकसान पहुंचा रहा है। जो मतदाता उनके साथ था वह अब विभाजित होता हुआ दिखाई दे रहा है। इसी के साथ सूरजगढ़ प्रकल्प को लेकर भी जनता में असंतोष है। गड़चिरोली जिले के लिए उसके इतिहास का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। अब तक इससे बड़ा निवेश जिले में आया नहीं है। लेकिन स्थानीय और बाहरी मुद्दे पर यहां जनता का मिजाज थोड़ा बदला हुआ है। माइनिंग के कारण आसपास की खेती और पर्यावरण का नुकसान हो रहा है। इसी के साथ प्रोजेक्ट में लगे रोजाना सैकड़ों ट्रेको का आवागमन होता है जिससे उस क्षेत्र की सड़के पूरी तरह खराब हो चुकी है वहीं लगातार दुर्घटना भी हो रही है। जिसके कारण जनता में काफी असंतोष है। अहेरी, एटापल्ली तहसील में यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। जो चुनाव में धर्मराव आत्राम को डेंट पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है।
बीजेपी के कार्यकर्ता राजे अंबरीश के साथ
टिकट नहीं मिलने से चुनावी दंगल में उतरे अंबरीश राव भी अपने चाचा को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान में धर्मराव महायुति के उम्मीदवार है, लेकिन अहेरी में भाजपा कार्यकर्ता राजे अंबरीशराव के साथ जाते हुए दिखाई दे रहे है। पिछ्ले दो साल से अंबरीश विधानसभा चुनाव में घूम रहे हैं। पिछले कार्यकाल की बात करते हुए लोग कहते हैं कि, विधानसभा में काम को केवल अंबरीश ने किया है लेकिन जनता से मेल जोल न करना उनकी हार का कारण रहा। वर्तमान में भी जनता उनकी इसी कमी पर सबसे ज्यादा बात करती है। इसी के साथ पूर्व विधायक दीपक आत्राम भी चुनावी मैदान में हैं, इसी के साथ कांग्रेस का भी भी एक नेता बगावत कर चुनाव में खड़ा हुआ है। मौजूदा समय में टक्कर बेहद कांटे की है। ऊंट किस करवट लेगा यह तो मतदान और रिजल्ट के दिन ही पाता चलेगा।

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