Supreme court का बड़ा निर्णय, मुंबई लोकल सीरियल ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट के निर्णय पर लगाई रोक
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोटों के संबंध में बारह आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि स्थगन आदेश से जेल से रिहा होने वाले आरोपियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ज्ञात हो कि, 11 जुलाई 2006 में मुंबई के लोकल में 11 मिनट के भीतर सात बम धमाके हुए थे , इसमें 189 निर्दोष यात्रियों की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। करीब 9 साल तक केस चलने के बाद स्पेशल मकोका कोर्ट ने 11 सितंबर 2015 को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 13 आरोपियों में से 5 दोषियों को फांसी की सजा, 7 को उम्रकैद की सजा और एक आरोपी को बरी कर दिया था। जिसके बाद से ये सभी 12 आरोपी जेल में कैद थे। लेकिन 2016 में आरोपियों ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
2023 से 2024 तक हाईकोर्ट में मामला लंबित रहा, लेकिन समय - समय पर सुनवाई होती रही। लम्बी दलीलों को सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट की विशेष अदालत का फैसले खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी वकील आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में नाकाम रहे। ये मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है। इस वजह से उन्हें बरी किया जाता है। अगर वे किसी दूसरे मामले में वॉन्टेड नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए। जिसके बाद 11 आरोपियों को रिहा किया गया ।
जिसके बाद 23 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में जल्द सुनवाई का आग्रह किया। एसजी तुषार मेहता ने कहा, हम सिर्फ हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश की मांग कर रहे हैं, आरोपियों को वापस जेल में डालने की नहीं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि इससे आरोपियों की जेल से रिहाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस मामले में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी।
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