लोकसभा चुनाव में जीत के लिए मिला था दो करोड़ का ऑफर, शरद पवार के बयान का समर्थन करते हुए सांसद अमर काले का खुलासा

नागपुर/वर्धा: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के पैसे देकर चुनाव जितवाने के दावे के बाद महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस के सांसद अमर काले ने भी सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि लोकसभा या विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए उन्हें और कई अन्य उम्मीदवारों को दो करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था, जो सीधे राजनीतिक नेताओं की ओर से नहीं, बल्कि बिचौलियों के माध्यम से आया था।
अमर काले ने कहा, "यह सिर्फ़ मेरे साथ ही नहीं, मेरे जैसे कई लोगों के साथ हुआ है। जो लोग लोकसभा या विधानसभा के लिए चुने गए, उन्हें यह पेशकश मिली। पेशकश करने वालों ने साफ़ कहा था, 'मैं तुम्हें एक मार्जिन दूँगा, तुम इतने वोटों से जीतोगे, लेकिन इसके लिए तुम्हें 2 करोड़ रुपये देने होंगे।' ये लोग सीधे मेरे पास नहीं आए, बल्कि मेरे बेहद करीबी कार्यकर्ता, जो चुनाव प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे थे, उनसे मिले। उन्होंने मुझसे कहा कि वे मिलने का समय मांग रहे हैं। हालाँकि, मैंने तुरंत इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।"
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के प्रस्ताव सिर्फ़ उन्हें ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के कई उम्मीदवारों को दिए गए थे। "अगर आप विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने वालों से पूछें, तो वे आपको अपने अनुभव बताएँगे। यह प्रस्ताव मेरे लिए नया नहीं था। मुझे लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही प्रस्ताव मिला था। लेकिन हम इतना पैसा कहाँ से लाएँगे? और हम इस रास्ते पर नहीं जाना चाहते थे, इसलिए हमने इसमें हाथ नहीं डाला," काले ने बताया।
चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए काले ने कहा, "चुनाव पारदर्शी तरीके से होने चाहिए। अगर चुनाव परिणामों को इस तरह 'मैनेज' किया जाता है, तो देश का लोकतंत्र खतरे में है। राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले वोट-हेराफेरी पर एक प्रेजेंटेशन दिया था। उसमें उन्होंने बखूबी दिखाया कि वोट चुराए जाते हैं और गलत तरीके से चुनाव जीते जाते हैं। यह बिल्कुल सीधा है।"
उन्होंने दृढ़ता से कहा कि मतदाताओं को धोखा देने वाले इन तरीकों पर लगाम लगाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, "अगर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता, तो नतीजे शायद अलग होते, लेकिन लोकतंत्र का मूल्य पैसे से ज़्यादा है। इसलिए मैंने इस प्रस्ताव को तुरंत अस्वीकार कर दिया। हालाँकि, दुर्भाग्य से, ऐसे कई लोग हैं जो ऐसे प्रस्ताव स्वीकार करते हैं, और यही लोकतंत्र के लिए असली ख़तरा है।"

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