चंद्रपुर में सरकारी बैठकों में पार्टी पदाधिकारी को नो एन्ट्री, जिलाधिकारी ने लिया सख्त निर्णय
चंद्रपुर: सरकारी बैठकों में मंत्री, पालकमंत्री, सांसद, विधायक के साथ-साथ बड़ी संख्या में सभी दलों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहते हैं। इससे न केवल अधिकारियों को असुविधा होती है बल्कि बैठकों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। कई बार अधिकारियों को बैठने तक की जगह नहीं मिलती।
विशेष रूप से भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह प्रथा और भी बढ़ गई है। मंत्री, विधायक या सांसदों के साथ-साथ पार्टी जिलाध्यक्षों से लेकर साधारण कार्यकर्ता तक मंच पर अधिकारियों के बगल में बैठते हैं और कई बार उन्हें सीधे निर्देश देने की धृष्टता भी करते हैं। इससे प्रशासनिक तंत्र में असंतोष का वातावरण निर्माण हुआ है।
हाल ही में जिलाधिकारी कार्यालय में हुई जिला खनिज प्रतिष्ठान की बैठक इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बनी। बैठक में कार्यकर्ताओं की भीड़ इतनी अधिक थी कि कई अधिकारियों को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिली। मामला पालकमंत्री अशोक उईके के संज्ञान में आते ही उन्होंने तुरंत पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को बाहर का रास्ता दिखाने का आदेश दिया।
यही दृश्य जिला नियोजन बैठक में देखने को मिला। यहां भी कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और बैठक के दौरान आपस में चर्चा करते हुए सांसद-विधायकों को तक सुझाव देने लगे। यह स्थिति देखकर पालकमंत्री ने फिर से जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बैठक से बाहर निकाला जाए इन घटनाओं के बाद जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने स्पष्ट निर्णय लिया है कि अब किसी भी सरकारी बैठक में राजनीतिक पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
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