अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस, कहीं हरियाणा जैसा हाल महाराष्ट्र में न हो जाए

नागपुर: हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। राज्य में सरकार बनाने का दावा करने वाली कांग्रेस को मूंह की खानी पड़ी है। वहीं लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बना भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रच दिया है। कांग्रेस को मिली हार का मुख्य कारण नेताओं में गुटबाजी मानी गई। वहीं इस हार का असर महाराष्ट्र में भी होने की चर्चा जोरशोर से शुरु है। कारण महाराष्ट्र कांग्रेस में भी सब ठीक नहीं, नेता भले सार्वजनिक तौर पर कुछ न बोले लेकिन उनके समर्थक खुले तौर पर एक दूसरे की खिलाफत करते हुए दिखाई देते रहते हैं।
हरियाणा में जिस तरह की स्थिति भाजपा या सरकार को लेकर थी ठीक वैसी ही स्थिति महाराष्ट्र में बनी हुई है। किसान, फसल दाम, बेरोजगारी, आरक्षण सहित पार्टियों में टूट ये तमाम मुददे हैं जो जमीन पर दिखाई दे रहे हैं। जनता राज्य की मौजूदा महायुति सरकार से नाराज दिखाई दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव में जिस तरह का परिणाम महाराष्ट्र से आया वह दर्शाता है की जनता सरकार से नाराज है।
महाराष्ट्र कांग्रेस की स्थिति लगभग हरियाणा कांग्रेस जैसी ही दिखाई दे रही है। जैसे हरियाणा में हुड्डा, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला कैंप था। ठीक वैसे ही कैंप महाराष्ट्र में प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले, नेता प्रतिपक्ष विजय वाडेट्टीवार और बालासाहेब थोरात का है। तीनों नेता लगातार मुख्यमंत्री पद को लेकर बयानबाजी करते हुए दिखाई देते हैं। वहीं उनके समर्थक एक कदम आगे बढ़कर अपने नेताओं को भावी मुख्यमंत्री बताकर प्रचार शुरु कर रहे है।
वर्तमान में सीएम पद को लेकर सबसे ज्यादा मुखर नाना पाटोले कैंप दिखाई दे रहा है। नाना समर्थक नेताओं और विधायकों ने तो सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषीत करने की मांग कर दी है। पिछले दिनों नागपुर में कांग्रेस की बैठक हुई थी जिसमें पूर्व विदर्भ के विधायकों ने नाना को सीएम बनाने की मांग आलाकमान से की। वहीं ऐसा नहीं करने पर छीनकर लाने तक की बात कह चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ विजया वाडेट्टीवार और बालासाहेब थोरात भी सीएम बनने की चाहत पाले हुए हैं। जिस तरह हरियाणा में कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने पाला हुआ था। दोनों नेता भी ठीक उसी तरह की बयानबाजी भी कर रहे है। दोनों नेताओं का कहना है कि, चुनाव में जीत मिलने के बाद आलाकमान सीएम का चेहरा घोषित करेगा लेकिन साथ में यह भी कहते है कि, अगर उन्हें यह जिम्मेदारी दी तो वह जरूर निभाएंगे।
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस जाट वोटरों पर पुरी तरह निर्भर रही। भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस के अंदर सबसे बड़े जाट नेता हैं। उनका यह मानना था कि, जाट भाजपा से नाराज है और इस चुनाव में वह पुरी तरह कांग्रेस के साथ आएगा। ठीक वैसा ही अनुमान नाना पटोले को है। विदर्भ में सबसे ज्यादा जनसंख्या कुनबी जाती के मतदाताओं की है। नाना भी उसी जाती से आतें हैं। लोकसभा चुनाव में कुनबी मतदाता एक तरफा कांग्रेस के साथ गया। जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिला। खासकर ग्रामीण हिस्से में रहने वाले कुनबी जाती ने कांग्रेस को वोट किया है।
अपनी जाति के भरोसे के पर हुड्डा ने जहां खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया वहीं अन्य जातियों के नेताओं को अलग थलग रखा। ठीक उसी तरह की स्थिति महाराष्ट्र में हैं। कांग्रेस के तमाम कुनबी नेता नाना के समर्थन में खड़े हुए हैं। वहीं वाडेट्टीवार और थोरात को अलग थलग करने में लगे हुए हैं। हरियाणा में कुमारी शैलजा हुड्डा के बाद सीएम पद की बड़ी दावेदार थी। लेकिन उन्हें कुछ खास तवज्जो नहीं दी गई। दोनों नेताओं की अदावत सार्वजनिक तौर पर दिखाई दी। राहुल गांधी ने इसे दूर करने का प्रयास किया। चुनाव सभा में दोनों को मिलाने का प्रयास भी किया लेकिन उसके बाद भी दोनों नेताओं की दूरी खत्म होने के बजाय बढ़ गई। जिसका परिणाम चुनाव में देखने को मिला।
महाराष्ट्र में नाना और थोरात की स्थिति वैसे ही है। दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव किसी से छुपा नहीं है। राज्य में विधान परिषद चुनाव में टिकट बटवारे को लेकर जंग राज्य की जनता देख चुकी है। लोकसभा चुनाव के समय यह दिखाई नहीं दी। लेकिन सभी जानते है दोनो नेता एक दूसरे को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। दोनों के समर्थक एक दूसरे पर किसी न किसी बात को लेकर एक दूसरे पर हमलवार रहते हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा में मिली हार के लिए नेताओं की गुटबाजी को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि, नेताओं ने पार्टी से ज्यादा अपने हित को सर्वोपरि रखा जिसके कारण पार्टी जीता हुआ चुनाव हार गई। महाराष्ट्र में आने वाले कुछ दिनों में चुनाव की घोषणा हो सकती है। अगर यहां भी ऐसी ही स्थिति रही तो हरियाणा की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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