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Maharashtra

आतंकवाद भगवा न कभी था, ना है, ना कभी रहेगा! मालेगांव मामले पर मुख्यमंत्री फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया


मुंबई: मालेगांव ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय जाँच संस्था की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोषित सहित सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। इस दौरान अदालत ने मामले की जाँच पर सवाल भी उठाये। करीब 17 चली जाँच के बाद आज फैसला आया है। अदालत के निर्णय पश्च्यात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया सामने आई हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक एक्स से लिखा कि, "आतंकवाद भगवा न कभी था, ना है, ना कभी रहेगा।"

अदालत ने किया सभी को बरी 

एनआईए के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियां बताईं। उन्होंने कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। इसी के साथ अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इसी के सभी छह पीड़ितों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और सभी घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले को संदेह को साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है।  इस फैसले से इस ममले में आरोपी बनाये गए सभी सातों लोगों को बड़ी राहत मिली है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी प्रतिक्रिया

विशेष अदालत के निर्णय के बाद नेताओं की बयानबाजी भी शुरू हो गई है। भाजपा सहित तमाम हिन्दू संगठनों के नेता जहां अदालत के निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। वहीं विपक्षी शिवसेना उद्धव, कांग्रेस सहित तमाम पार्टियां निर्णय को गलत और जाँच पर सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। फडणवीस ने अपने एक्स पर लिखा कि, "आतंकवाद भगवा न कभी था, ना है, ना कभी रहेगा।"


क्या है पूरा मामला?
2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास बम धमाका हुआ, जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। धमाका एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक से हुआ था, जो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। जांच में एटीएस ने प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित, स्वामी दयानंद पांडे समेत कई लोगों को आरोपी बनाया और उन पर आतंकवाद, हत्या और साजिश के आरोप लगाए गए। बाद में मामला एनआईए को सौंपा गया। करीब 17 साल मामले की जाँच और अदालत में सुनवाई हुई।