उपराजधानी नागपुर में बढ़ा पीओपो मूर्तियों का चलन, 2025 में 9456 पीओपी मूर्तियों का विसर्जन; 2024 की तुलना में 3.01 प्रतिशत की वृद्धि

नागपुर: गणेशोत्सव में पीओपी मूर्तियों पर से प्रतिबंध हटने के बाद उपराजधानी में इनकी संख्या में इजाफा हुआ है। नागपुर मनपा के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, रविवार तक कुल 1,61,525 गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया गया, जिनमें 9,456 मूर्तियां पीओपी की थीं। यह कुल विसर्जन का 5.85 प्रतिशत है। पिछले साल की तुलना में इस साल पीओपी मूर्तियों के विसर्जन में करीब 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस वर्ष गणेशोत्सव में पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) मूर्तियों पर प्रतिबंध हटने के बाद शहर में इनकी संख्या में वृद्धि देखी गई। नागपुर मनपा के आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक कुल 1,61,525 गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया गया। इनमें से 9,456 मूर्तियां पीओपी की थीं, जो कुल विसर्जन का 5.85 प्रतिशत है, जबकि मिट्टी की मूर्तियों का प्रतिशत 94.15% रहा।
इस साल पीओपी मूर्तियों के विसर्जन में पिछले साल की तुलना में लगभग 3% की बढ़ोतरी हुई है। विभिन्न जोनों में विसर्जित मूर्तियों के आंकड़ों में यह वृद्धि साफ दिखाई देती है। उदाहरण के लिए, जोन क्र. 1 लक्ष्मीनगर में 26,123 मूर्तियों का विसर्जन हुआ, जिनमें 751 पीओपी की थीं। वहीं, जोन क्र. 2 धरमपेठ में 13,899 मूर्तियों में से 2,570 पीओपी की थीं।
जोन स्तर पर जारी आकड़ो के अनुसार, इस वर्ष
- लक्ष्मीनगर जोन 1: 26,123 मूर्तियां विसर्जित की गई, जिसमें 751 पीओपी की थी।
- वहीं धरमपेठ जोन में 13,899 मूर्तियां, जिनमें 2,570 पीओपी की निकली
- हनुमाननगर (जोन 3): 21,501 मूर्तियां, 1,349 पीओपी
- धंतोली जोनमें 11,852 मूर्तियों में से 473 पीओपी की रही।
- नेहरूनगर जोन में 15,754 मूर्तियां से 327 पीओपी
- गांधीबाग जोन : 20,728 मूर्तियां, 26 पीओपी
- सतरंजीपुरा जोन : 12,387 मूर्तियां, में से 1,672 पीओपी की मिली
- लकडगंज जोन में 13,783 मूर्तियां का विसर्जन हुआ, जिनमे 921 पीओपी की रही।
- आशीनगर जोन में 2,829 मूर्तियां विसर्जित की गई, इसमें 544 पीओपी की रही।
- मंगलवारी जोन में 6,306 मूर्तियों का विसर्जन किया गया, इनमें 452 पीओपी की निकली
पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध के कारण पिछले कई सालों से उनकी संख्या में गिरावट आई थी। 2024 में यह केवल 2.84% थी। लेकिन इस साल प्रतिबंध हटने के बाद पीओपी मूर्तियों के आंकड़ों ने 2021 का रिकॉर्ड पार कर दिया है।मनपा के आंकड़े बताते हैं कि पीओपी पर प्रतिबंध हटने के बावजूद, पर्यावरण-हितैषी मिट्टी की मूर्तियों के प्रति जागरूकता अभियान जारी है, लेकिन शहर में दोबारा पीओपी मूर्तियों का चलन बढ़ता रहा है।

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