विदर्भ में नहीं रुक रहे किसान आत्महत्या के मामले, सरकार की तमाम कोशिशें और दावे जमीनी हकीकत से दूर

नागपुर: नागपुर संभाग में जनवरी से जुलाई तक 7 महीने में 154 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें जनवरी में 36, फरवरी में 22, मार्च में 19, अप्रैल में 18, मई में 18, जून में 17 और जुलाई में 24 किसानों ने आत्महत्या की है। सरकार किसान आत्महत्या रोकने के लिए नई नई योजना घोषित करती है। लेकिन आंकड़ों को देखने के बाद तमाम दावे जमीनी हकीकत से कोसो दूर दिखाईं दे रहे हैं।
इन 154 मामलों में से 61 को मंजूरी दे दी गई। 44 मामले अयोग्य हैं जबकि 49 मामले जांच के लिए लंबित हैं। पात्र प्रकरणों में 43 लाख की सहायता दी गई है। 2001 से 2020 तक नागपुर संभाग में 4608 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से 2325 योग्य, 2283 अयोग्य घोषित किये गये। पात्र प्रकरणों में 2325 लाख की आर्थिक सहायता दी गई।
2021 में 380 आत्महत्याओं में से 172 पात्र थे और 208 अपात्र थे। 172 लाख की सहायता दी गई. 2022 में 363 आत्महत्याओं में से 218 पात्र और 145 अपात्र थे। 218 लाख की सहायता प्रदान की गई। 2023 में 329 आत्महत्याओं में से 179 पात्र थे और 149 अपात्र थे। 159 लाख की सहायता दी गई। 2001 से 2023 की अवधि के दौरान एक भी मामला जांच के लिए लंबित नहीं था।
गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों के हित के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. उसके बाद भी 1 जनवरी से 30 जून तक 6 महीने में राज्य भर में 1267 किसानों की आत्महत्या की सूचना मिली है. सबसे ज्यादा आत्महत्याएं अमरावती डिवीजन में 557, छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में 430, नासिक डिवीजन में 137, नागपुर डिवीजन में 130, पुणे डिवीजन में 13 दर्ज की गई हैं। सौभाग्य से कोंकण संभाग में किसान आत्महत्याओं का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना, राज्य नमो किसान योजना, एक रुपये की फसल बीमा योजना, रियायती ब्याज दर पर ऋण आदि जैसी विभिन्न योजनाएं लागू करने के बावजूद राज्य के किसानों की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। कर्ज से मुक्ति दिलाने की राजनीतिक नेताओं की घोषणाएं हवा- हवाई हो रही हैं।

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