मुख्यमंत्री के रूप में विदर्भपुत्र की तीसरी पारी; क्या 'शकुंतला रेलवे लाइन' को मिलेगा पुनर्जीवन?
यवतमाल: पश्चिम विदर्भ के विकास के लिए महत्वपूर्ण शकुंतला रेलवे ब्रॉड गेज परियोजना दशकों से लंबित है। विदर्भ के लोगों ने मांग की है कि नागपुर में आगामी शीतकालीन सत्र को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इस परियोजना को गति देने के लिए ठोस निर्णय लेना चाहिए। सत्ता विदर्भपुत्रों के हाथ में, अभी नहीं तो कब? यह सवाल शकुंतला रेलवे विकास समिति ने उठाया है।
उच्च गुणवत्ता वाले कपास उत्पादक जिले यवतमाल जिले से होकर गुजरने वाली 120 साल पुरानी शकुंतला रेलवे लाइन को ब्रॉड गेज में बदलने से विदर्भ की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। साल 2017 में फडणवीस और सुरेश प्रभु द्वारा घोषित 'पूंजी निवेश कार्यक्रम' के तहत, राज्य सरकार ने 50% वित्तीय भागीदारी के लिए तत्परता दिखाई थी। लेकिन वास्तविक परियोजना अभी शुरू नहीं हुई है। यह देखना अहम होगा कि नागपुर अधिवेशन में इस विषय पर सवाल उठेगा या नहीं।
नागपुर अधिवेशन को विदर्भ की समस्याओं के समाधान का मंच माना जाता है। लेकिन पिछले सत्रों में कृषि, उद्योग, बिजली परियोजनाओं, रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भाषणों की झड़ी के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया। क्या इस साल शकुंतला रेलवे जैसे अहम प्रोजेक्ट पर चर्चा होगी या फिर यह सम्मेलन सिर्फ वादों की महफिल बनकर रह जाएगा?
इस परियोजना के लिए विदर्भ के दिग्गज नेताओं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। यदि शकुंतला रेलवे लंबित रही तो विपक्ष को बड़बड़ाने का अच्छा मौका मिल जाएगा।
कई बार चर्चा होने के बावजूद कोई निर्णय नहीं
शकुंतला परियोजना पर पिछले कुछ वर्षों में लोकसभा और विधानसभा में कई बार चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस विरोध प्रदर्शन या भूख हड़ताल नहीं हुई। यवतमाल के निवासियों की मांग है कि जन प्रतिनिधियों को इस सवाल को 'ड्रीम प्रोजेक्ट' के तौर पर नागपुर विधानसभा में उठाना चाहिए। यदि नागपुर अधिवेशन में विदर्भ के मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई तो अधिवेशन का उद्देश्य क्या था? ये सवाल कई लोगों ने पूछा है।
विदर्भ के नेताओं से उम्मीद
शकुंतला रेलवे विदर्भ के विकास के लिए एक आवश्यक परियोजना है। यवतमाल के निवासियों को उम्मीद है कि नागपुर सम्मेलन के मद्देनजर विदर्भ के मंत्रियों को एक साथ आकर इस परियोजना को गति देनी चाहिए। क्या नागपुर अधिवेशन में विदर्भ की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए ठोस निर्णय लिये जायेंगे या इस समय चर्चा केवल कागजों तक ही सीमित रहेगी? ऐसे सवाल आम जनता पूछ रही है।
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