Amravati: 75 साल के बाद भी मुलभुत सुविधाओं से मेलघाट वंचित, पानी सबसे बड़ी समस्या

अमरावती: जिले के मेलघाट का धारणी और चिखलदरा तहसील आदिवासी बहुल क्षेत्र है। आजादी के कई दशक बीतने के बाद भी यहां न तो नागरिकों को मुलभुत सुविधाएं मिली और न ही इस आधुनिक युग में उनके जीवन कोई बदलाव आया। आज भी यहां पानी, बिजली, शिक्षा और सड़क की मांग को लेकर नागरिकों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
रंगुबेली, कुंड, धोकडा, किन्हीखेडा, खामदा और खोकनार गांव के ग्रामीणों ने तो अपनी समस्या को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। लेकिन पड़ोसी खड़ीमल गांव की समस्या तो अन्य समस्याओं से भी ज्यादा गंभीर है. हमें पीने के पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा। खडीमल ग्राम पंचायतहै , लेकिन इसके बावजूद ग्राम सेवक कभी नजर नहीं आते। फिर पटवारी, शिक्षा अधिकारी, कृषि सहायक, वनपाल, वनरक्षक कैसे दिखेंगे। गांव में न बिजली है, न पक्की सड़क, न कोई बुनियादी सुविधा, इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में तो यहां पिने के लिए पानी भी बामुश्किल से मिलता है।
पानी के लिए ग्रामीणों के इस संघर्ष को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की यहां पानी की कितनी समस्या है। गांव में टैंकर पहुंचा कि ग्रामीण अपना सब काम छोड़कर पानी भरने के लिए दौड़ पड़ते। पिछले कई दशकों से पानी की समस्या झेल रहे ग्रामीणों ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जमकर मतदान किया। भले ही शहरी इलाके में मतदान कम रहा हो लेकिन यहां 78.88 फीसदी मतदान हुआ। ग्रामीण जनप्रतिनिधि चुनने में तो अपना पूरा योगदान देते है, लेकिन वो ही जन प्रतिनिधि बाद में ग्रामीणों की समस्या की ओर से आंखें मूंदे लेते है।

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