Amravati: जिले की जनता पी रही दूषित पानी, जिला परिषद प्रशासन ने अधिकारीयों को दिए निर्देश

अमरावती: बढ़ते तापमान के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में पानी की कमी बढ़ने लगी है। इसके साथ ही दूषित पानी से नागरिकों का स्वास्थ्य भी खतरे में है. अमरावती जिले के आठ तहसील से पीने के पानी के सैंपल में 25 जगह के पानी दूषित पाए जाने पर जिला परिषद प्रशासन ने संबंधित गट विकास अधिकारियों और स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया हैं।
वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की कमी है और कुछ स्थानों पर प्राकृतिक जल स्रोतों के पानी के नमूने दूषित हो गये हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जिले में कहीं भी दूषित पानी की वजह से बीमारी का प्रकोप नहीं है. हर साल गर्मी में ग्रामीण इलाकों में डायरिया और टाइफाइड के मरीज मिलते हैं।
मार्च के महीने में अमरावती जिले के 14 तहसील से 1 हजार 491 जगह से पानी के नमूने परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए थे। 25 स्थानों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया है। दूषित जल स्रोतों को ब्लीचिंग पाउडर डालकर पीने योग्य बनाया जाता है। नियमानुसार गांव में जलापूर्ति करने वाले जल स्रोतों में ब्लीचिंग पाउडर की मात्रा का होना जरूरी है। हालांकि, कई ग्राम पंचायतों में उचित व्यवस्था नहीं होने से पानी के नमूने दूषित पाए गए हैं।
फिलहाल जिले में 11 टैंकर की मदद से जिन इलाके में पेयजल संकट है वहां पानी पहुंचाई जा रही है। सावंगी मग्रापुर, बेला, मोथा, धामकडोह, आकी, बहादरपूर, गौलखेडा और खडीमल गांव में तो टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है। इन गांव में जल जीवन मिशन का काम अभी भी नहीं हुआ है।
खास बात ये है कि, पिछले साल टैंकर के दूषित पानी के कारण चिखलदरा तहसील के और पाचङोंगरी, और कोयलारी गांवों में महामारी की स्थिति पैदा हो गई थी। इसलिए विशेष देखभाल की जरूरत है। फिलहाल 11 टैंकरों से गांवों की प्यास बुझाई जा रही है। जबकि दूषित पानी पर भी प्रशासन को ध्यान देने की जरुरत है।

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