बेमौसम बारिश ने प्याज उत्पादक किसानों की बढ़ाई मुश्किलें, कीमत सात रूपये प्रति किलों पहुंची

अमरावती: अचलपुर, अंजनगांव और चांदुरबाजार तहसील को प्याज का गोदाम माना जाता है, लेकिन बेमौसम बारिश के कारण अब इन गोदामों में पानी भर गया है। खेतों में खड़ी प्याज की फसल डूब गई है। बारिश ने प्याज को झटका दिया है और कीमतें 6 से 7 रुपए प्रति किलो तक गिर गई हैं।
प्याज की पहली फसल नासिक होने का समीकरण महाराष्ट्र के लिए जाना-पहचाना है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी मात्रा में प्याज का उत्पादन होता है, जिसका एक उदाहरण अमरावती जिला है। अचलपुर, अंजनगांव और चांदुरबाजार तहसील को सफेद प्याज का गोदाम माना जाता है, लेकिन बेमौसम बारिश के कारण अब इन गोदामों में पानी भर गया है। खेतों में प्याज डूब गया है। कुछ दिन पहले प्याज की कटाई शुरू हुई थी, लेकिन बारिश ने वह नहीं किया जो पहले हुआ करता था।
छोटे-बड़े गांवों में इन तीनों तहसीलों में बड़ी मात्रा में प्याज का उत्पादन होता है। प्रति एकड़ डेढ़ सौ क्विंटल उपज होती है। इन किसानों के लिए यह एक तरह की नकदी फसल है। इसे 15 से 20 फरवरी के बीच लगाया जाता है। मई में इसकी कटाई होती है। किसानों का कहना है कि बारिश ठीक उसी समय हुई है, जब यह समय आ गया है।
प्याज 12 से 15 रुपए प्रति क्विंटल (2 क्विंटल) के भाव से बिकता है। बाहर बाजार में इसकी कीमत अधिक मिलती है: हालांकि, बारिश के कारण प्याज खराब हो गया है और कीमत गिरकर 6 से 8 रुपए प्रति किलो रह गई है। प्याज उगाने वाले किसानों का कहना है कि जब प्याज पर पानी और मिट्टी लग जाती है, तो इसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है और फिर कीमत भी नहीं मिलती है।
किसानों का कहना है कि इस बारिश से हुए नुकसान ने पूरे साल का हिसाब बिगाड़ दिया है। बुवाई लागत 70,000 रुपए प्रति एकड़ है। अब जब प्याज की 40 फीसदी फसल खराब हो गई है, तो लागत कैसे पूरी होगी? यही सवाल इस खंड में पूछा जा रहा है।

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