चंद्रपुर जिला बैंक पर BJP का कब्जा, कांग्रेस के संचालक बीजेपी साथ; जोरगेवार का तीखा हमला, कहा- पार्टी के भीतर ही बेईमान

-पवन झबाडे
चंद्रपुर: जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के इतिहास में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपना परचम लहराया है। यह सत्ता परिवर्तन न केवल कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, बल्कि जिले की राजनीतिक समीकरणों में भी एक महत्वपूर्ण मोड के रूप में देखा जा रहा है सबसे खास बात यह रही कि शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गट) (Shivsena UBT) के जिल्हाप्रमुख रहे रवींद्र शिंदे (Ravindra Shinde), जिन्होंने हाल ही में भाजपा का दामन थामा, उन्हें अध्यक्षपद की जिम्मेदारी सौंपी गई। वहीं उपाध्यक्ष पद संजय डोंगरे (Sanjay Dongre) को मिला है। इस प्रकार, लंबे अरसे से कांग्रेस (Congress) के प्रभाव में रही इस सहकारी बैंक की कमान अब भाजपा के हाथों में आ गई है।
एक से बढ़कर एक 'चालें': बंटी भांगडिया की रणनीति
गत कार्यकाल में भाजपा के पास केवल एक संचालक था, मगर इस बार विधायक बंटी भांगडिया ने साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति अपनाते हुए कांग्रेस के कई संचालकों को अपने पक्ष में कर लिया। इस सधे हुए ऑपरेशन का असर यह हुआ कि भाजपा के कई उम्मीदवार अविरोध निर्विरोध चुनकर आए।
कांग्रेस की ओर से मुकाबले को टक्कर देने के लिए सांसद प्रतिभा धानोरकर खुद मैदान में उतरीं और संचालक पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुईं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधानमंडल गटनेता विजय वडेट्टीवार ने चुनाव लढणे के लिये फॉर्म भरा था हालांकि नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद वोटों की गिनती से पहले दोनों दलों ने अपने-अपने बहुमत के दावे किए और संचालकों को साधने की पुरजोर कोशिशें की गईं।
21 में से 20 हमारे साथ, रवींद्र शिंदे का दावा
आज जब अध्यक्ष पद पर रवींद्र शिंदे ने पदभार संभाला, तब उन्होंने मीडिया समक्ष दावा किया कि “बैंक के 21 संचालकों में से 20 हमारे साथ हैं।” यह दावा कांग्रेस के लिए एक गहरा धक्का साबित हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब जिला सहकारी बैंक पर भाजपा का एकछत्र राज होगा।
जोरगेवार का तीखा हमला: “पार्टी के भीतर के ही बेईमान...”
इस पदग्रहण समारोह के दौरान विधायक किशोर जोरगेवार ने भी मंच से जबरदस्त बयानबाजी की। उन्होंने कहा भाजपा की सत्ता जिला बैंक पर आते वक्त कुछ भाजपा के नेताओं ने ही रोड़े अटकाने की कोशिश की। ये नेता बेईमान हैं, ये पार्टी को पीछे ले जा रहे हैं। ये ‘स्वकेंद्रित’ राजनीति कर रहे हैं।जोरगेवर के इस बयान से भाजपा के अंतर्विरोधों को सामने लेकर रख दिया है। जोरगेवार ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी को जनता के हित में एकजुट हो कर काम करना चाहिए, न कि स्वार्थपूर्ति के लिए।
कांग्रेस को लगा बड़ा झटका
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा अब केवल विधानसभा और लोकसभा तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उसने सहकारी संस्थाओं पर भी अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दिया है। पर आने वाले समय में भाजपा के लिए ये चुनाव निर्णायक सिद्ध हो सकते हैं। दुसरी ओर कांग्रेस के लिए यह केवल एक चुनावी हार नहीं है, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व को लगा एक बड़ा झटका है, जिसके प्रभाव निश्चित रूप से आने वाली राजनीतिक हलचलों में दिखाई देंगे।

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