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बीटेक छात्र से बना खूंखार नक्सली: 150 जवानों का हत्यारा बसवराजु आखिरकार मारा गया


लेखक: रवि शुक्ला

गड़चिरोली: छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में "ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट" के तहत सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद को सबसे बड़ा झटका देते हुए भारत के मोस्ट वॉन्टेड नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु (Nambala Keshav Rao) को मार गिराया। ये वही नाम है, जिसे सुनकर सुरक्षाबल सतर्क हो जाते थे, और नक्सलियों में जिसे 'मास्टर ऑफ गुरिल्ला वॉर' कहा जाता था। पर क्या आप जानते हैं कि बसवराजु एक समय पर एक होनहार बीटेक छात्र था, जिसके हाथ में कभी कलम हुआ करती थी पर बाद में उसी हाथ में AK-47 आ गई? 

शिक्षा और शुरुआती जीवन: एक सामान्य छात्र

नंबाला केशव राव का जन्म आंध्र प्रदेश के वारंगल ज़िले के एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ था। उसने वारंगल में ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एक प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लिया और बीटेक पूरा किया।

लेकिन कॉलेज के दौरान उसका संपर्क वामपंथी छात्र संगठनों से हुआ। गरीबों, आदिवासियों और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उसके भीतर क्रोध पनपने लगा। यहीं से उसका झुकाव माओवादी विचारधारा की ओर हुआ।

वामपंथी आंदोलन में प्रवेश: विचारधारा से विद्रोह तक

1980 के दशक में केशव राव ने पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) का हिस्सा बनकर हिंसक आंदोलन की राह पकड़ ली। यही समूह बाद में सीपीआई (माओवादी) बना। धीरे-धीरे वह संगठन की रणनीतिक इकाई में आ गया और जंगलों में रहकर गुरिल्ला युद्धकला में माहिर हो गया। वह आम लोगों को भाषणों से, और युवाओं को बंदूक की भाषा में अपने साथ जोड़ता रहा।

खूनी इतिहास: 150 से ज्यादा जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड

बसवराजु पर कई बड़े हमलों की साजिश रचने का आरोप था:

  • दंतेवाड़ा हमला (2010): जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए।
  • झीरम घाटी नरसंहार (2013): छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पूरी लीडरशिप पर हमला हुआ, 29 की मौत हुई।
  • गडचिरोली, बीजापुर, सुकमा जैसे कई जिलों में सुरक्षा बलों पर घातक हमले।
  • उस पर केंद्र और राज्य सरकारों ने कुल मिलाकर ₹1.5 करोड़ का इनाम रखा हुआ था।

संगठन में रुतबा: महासचिव और सैन्य प्रमुख

बसवराजु केवल एक फील्ड कमांडर नहीं था, बल्कि वह सीपीआई (माओवादी) का महासचिव और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का प्रमुख भी था। वह नए कैडरों की भर्ती, ट्रेनिंग, फंडिंग और हथियारों की सप्लाई की पूरी कमान संभालता था। वह दक्षिण भारत से लेकर झारखंड और छत्तीसगढ़ तक पूरे "लाल गलियारे" में गतिविधियों का संचालन करता था। 

ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: अंत की शुरुआत

मई 2025 में आंध्र प्रदेश स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (SIB) को जानकारी मिली कि बसवराजु छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ इलाके में मौजूद है। 21 मई की सुबह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), जिला रिजर्व गार्ड (DRG), कोबरा कमांडो और छत्तीसगढ़ पुलिस ने मिलकर एक बड़े सर्च ऑपरेशन की शुरुआत की। घने जंगलों में मुठभेड़ हुई। करीब 8 घंटे की गोलीबारी में 27 नक्सली मारे गए, जिनमें बसवराजु की पहचान भी बाद में हुई।

अब आगे क्या?

विशेषज्ञ मानते हैं कि बसवराजु की मौत के साथ ही माओवादी आंदोलन की रीढ़ टूट गई है। उसके पास जो सैन्य अनुभव, रणनीतिक सोच और नेटवर्क था — उसकी भरपाई फिलहाल कोई दूसरा नक्सली नेता नहीं कर सकता। यह भारत सरकार की नक्सलवाद मुक्त भारत योजना के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।