आदिवासी जिले से देश की आदिवासी राष्ट्रपति ने देश को दिया संदेश, आदिवासियों से सीखें प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना
गडचिरोली: महाराष्ट्र आदिवासी बहुल जिले गडचिरोली के गोंड़वाना विश्वविद्यालय के 10 वें दीक्षांत समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुई.इस दौरान विद्यार्थियों को दिए गए अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कई अहम विषयों की चर्चा की अपने भाषण में उन्होंने न केवल शिक्षा बल्कि जीवन जीने की कला की भी सीख दी.महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल जिले गडचिरोली से देश की पहली महिला राष्ट्रपति ने देश को सन्देश दिया की ये आदिवासी ही है जो प्रकृति के अनुकूल जीवन जीने की सीख देते है.देश के कुछ आदिवासियों की जीवन शैली हर किसी के लिए सीख है की वो अपने जीवन को किस तरह से जिए। राष्ट्रपति ने कहा की वो समय-समय पर आदिवासियों के साथ चर्चा करती है इस चर्चा से एक ही बात निकल कर सामने आती है की आदिवासी भी आगे बढ़ाना चाहते है.समाज के विकास के लिए और जनजातियों और पिछड़े समुदाय के विकास के लिए शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.राष्ट्रपति ने कहा की मुझे ख़ुशी है की गोंडवाना विश्वविद्यालय आदिवासी समुदाय के विकास के लिए काम कर रहा है.आज के दीक्षांत समारोह में 3200 जनजातीय समुदाय के छात्र पदवी हासिल कर रहे है यह ख़ुशी की बात है.विश्वविद्यालय स्थानीय विषयो को प्रधानता देकर उपयोगी विषयों का अध्ययन उपलब्ध करवा रहा है यह ख़ुशी की बात है.ज्ञान विज्ञान के साथ व्यावसायिक कौशल के माध्यम से विद्यार्थियों को सशक्त बनाया जा सकता है.गडचिरोली जिला आज भले ही पिछड़ा जिला हो लेकिन जल्द ही यह देश के सबसे अधिक विकसित जिलों में शुमार होगा ऐसी उम्मीद भी राष्ट्रपति ने व्यक्त की. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी की भी जमकर प्रशंसा की उन्होंने कहा की दीक्षांत समारोह में 61% छात्राओं को गोल्ड मेडल मिला है.यह हर्ष की बात है.
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