बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से उनके हमले बढे है हमने केंद्र से बाघों के स्थलांतरण की मांग की है

नागपुर- विदर्भ के तीन जिलों गड़चिरोली,चंद्रपुर और भंडारा में बीते एक साल से दहशत का पर्याय बन चुके सीटी 1 बाघ को वन विभाग ने लगभग एक साल की मशक्कत के बाद पकड़ा है.लेकिन हाल के दिनों में इंसान और जंगली जानवरों के संघर्ष की घटनाओं में काफ़ी इजाफ़ा देखने को मिल रहा है.राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार इस संघर्ष के लिए जंगल पर इंसानों के जनजीवन की निर्भरता और विदर्भ के जंगलों में बाघों की बढ़ी संख्या को ज़िम्मेदार बता रहे है.पत्रकारों से बात करते हुए वन मंत्री ने कहा की उन्होंने इस संघर्ष को कम किये जाने के लिए केंद्र सरकार से विदर्भ के अधिसंख्य बाघों को स्थानांतरित किये जाने का निवेदन किया गया है.
मुनगंटीवार ने बताया की बीते कुछ समय में विदर्भ के जंगलों में वन्यप्राणियों खास तौर से बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है जिस वजह से प्राकृतिक रूप से बाघों को विचरण करने के लिए जरुरी प्राकृतिक 12 बाय 12 स्क्वेयर किलोमीटर का क्षेत्र कम पड़ रहा है जिस वजह से बाघ जंगल को छोड़ इंसानों की बस्ती तक पहुंच रहे है.इस स्थिति से निपटने के लिए जरुरी है की बाघों को ऐसी जगह भेजा जाये जहां उनकी संख्या कम है इससे बाघों का समतोल भी बरकार रहेगा। इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार से निवेदन किया है.वन मंत्री ने बताया की इंसानों पर हमला करने वाले बाघों को तत्काल प्रभाव से पकड़ने का निर्देश उनके द्वारा विभाग को दिया गया है.वन मंत्री ने यह भी बताया की सिर्फ बाघ ही नहीं बल्कि अन्य जंगली जानवरों की संख्या भी विदर्भ और राज्य के जंगलों में बढ़ी है.यहाँ के जंगलों में मौजूद सुविधाओं के चलते कर्नाटक से हांथी राज्य में आ रहे है जबकि ऐसा पहले नहीं होता था.
उन्होंने यह भी बताया की बाघों के इंसान पर होने वाले हमलें को रोकने के लिए जरुरी है की इंसानों को जंगल में जाने से रोका जाये इसलिए सरकार ने उन लोगों के लिए जिनका जीवन निर्वाह जंगल पर आश्रित है कई योजनाओं में अमूल चूक परिवर्तन किये जा रहे है.
उन्होंने यह भी बताया की बाघों के इंसान पर होने वाले हमलें को रोकने के लिए जरुरी है की इंसानों को जंगल में जाने से रोका जाये इसलिए सरकार ने उन लोगों के लिए जिनका जीवन निर्वाह जंगल पर आश्रित है कई योजनाओं में अमूल चूक परिवर्तन किये जा रहे है.

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