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Nagpur

Ramtek: भारतीय सेना ने नागपुर में नशे में धुत सैन्यकर्मी द्वारा नागरिकों को घायल करने की झूठी मीडिया रिपोर्टों का किया खंडन


नागपुर: रामटेक तहसील के नगरधन में नशे में धुत एक व्यक्ति ने अपनी कार से 25 से 30 लोगों को टक्कर मार दी। गुस्साए ग्रामीणों ने ड्राइवर का पीछा किया और उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी। जानकारी दी गई थी कि कार चालक भारतीय सेना में जवान है तथा असम में कार्यरत है। इस पर भारतीय सेना ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर खबर को झूठा बताया है।   

इस बयान में कहा गया है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्टों ने 4 अगस्त को “नशे में धुत सेना अधिकारी ने नागपुर में 30 लोगों को कार से टक्कर मारी, स्थानीय लोगों ने पीटा” शीर्षकों के साथ एक घटना की सूचना दी है। घटना की जांच की गई है और खबर में घटना की झूठी रिपोर्टिंग शामिल है।

विज्ञप्ति में आगे लिखा है कि 03 अगस्त को शाम 6:30 बजे हुई इस घटना में एक भारतीय सेना के जवान के शराब के नशे में धुत होने और नागपुर जिले के नगरधन में एक लापरवाही भरे रोड रेज की घटना में शामिल होने की बात कही गई है। रिपोर्टों में दावा किया गया है कि जवान ने अपनी गाड़ी भीड़ में घुसा दी, जिससे 25-30 नागरिक घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने उस पर हमला किया और बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

सेना ने अपने बयान में कहा है कि स्थानीय पुलिस से जानकारी लेने के बाद यह बात सामने आई है कि नागपुर के रामटेक निवासी और उत्तर पूर्व में तैनात हवलदार हर्षपाल महादेव वाघमारे छुट्टी पर थे। 3 अगस्त 2025 की शाम लगभग 6:30 बजे, एक रिश्तेदार के यहाँ से लौटते समय, पार्किंग को लेकर कुछ स्थानीय लोगों के साथ उनका मामूली झगड़ा हुआ। इस झगड़े के दौरान, चार लोगों ने सेना के जवान का पीछा किया और बदमाशों से बचने की कोशिश में उनकी कार एक पेड़ से टकरा गई। इसी दौरान, चार लोगों ने नॉन-कमीशन ऑफिसर को कार से बाहर खींच लिया और उन पर बेरहमी से हमला कर दिया, उनकी कार को क्षतिग्रस्त कर दिया और एक नाले में फेंक दिया।

बयान में कहा गया कि पूरी घटना के दौरान, कोई भी नागरिक घायल नहीं हुआ। हवलदार हर्षपाल महादेव वाघमारे ने 4 अगस्त को पुलिस थाना रामटेक, नागपुर में चारों व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। रामटेक पुलिस स्टेशन, नागपुर से विवरण सत्यापित और पुष्टि कर लिया गया है। इन विवरणों की पुष्टि नागपुर ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक द्वारा भी की गई है।

सेना ने कहा कि यह मामला घटनाओं की रिपोर्टिंग में सनसनीखेजपन के ख़तरे की एक कड़ी याद दिलाता है। यह घटना भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और जहाँ कोई विभाजन है ही नहीं, वहाँ विभाजन पैदा करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास भी हो सकता है।