Nagpur: नाईट स्कूलों के शिक्षक आंदोलन पर, हितसंबंधी अध्यादेश को रद्द करने का निर्णय कर रहे विरोध

नागपुर: राज्य की नाईट स्कूलों के शिक्षक आंदोलन पर है। आंदोलन की वजह है राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों के हितसंबंधी एक अध्यादेश को रद्द करने का निर्णय लिया जाना। शिक्षकों की लंबे समय से उन्हें स्थाई किये जाने की मांग है। जिस पर सिर्फ अध्यादेश निकालना और फिर उसे रद्द किये जाने का ही खेल शुरू है।
नागपुर का संविधान चौक आंदोलन का केंद्र है। यहाँ इन दिनों कुछ शिक्षक आंदोलन कर रहे है। यह शिक्षक कोई सामान्य शिक्षक नहीं है बल्कि रात के समय चलने वाली सरकारी स्कूलों के शिक्षक है। इन स्कूलों में पढाने वाले शिक्षक लंबे समय से उन्हें स्थाई किये जाने की मांग कर रहे है। उनकी मांग पर सकारात्मक विचार करते हुए तत्कालीन सरकार ने 17 मई 2017 को एक अध्यादेश निकाला था। जो इन शिक्षकों के पक्ष में था। लेकिन 30 जून 2022 को एक और आदेश निकाला गया जिसमे पुराने निर्णय को बदल दिया गया। इन शिक्षकों की मांग है की नाईट स्कूलों को पूर्णकालिक शिक्षकों का दर्जा दिया जाये।
इन शिक्षकों का कहना है की उनका काम पूर्णकालिक शिक्षकों की ही तरह जिस तरह की सेवा वो शिक्षक देते है उसी तरह हम भी,लेकिन दोनों तरह के शिक्षकों की तनख्वाह और सरकार से मिलने वाली सहूलतों में बड़ा फर्क। सरकार अगर चाहें तो हमें पूर्णकालिक शिक्षकों का दर्जा देकर सेवा के दायरे को और बढ़ा सकती है। देश में केवल महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां नाईट स्कूलों के माध्यम से शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था है। इसके पीछे का मकसद था ऐसे छात्र जो जिम्मेदारियों की वजह से पढाई छोड़ देते है उन्हें शिक्षा की व्यवस्था उपलब्ध करवाना।
नाईट स्कूल के शिक्षकों के मुताबिक उनकी तकलीफ कई तरह से है। इतने साल बीत जाने के बाद भी सरकार उन्हें एक्सपर्ट शिक्षक की श्रेणी में भी नहीं मानती जबकि उन्होंने वही कोर्स किया है जो किसी सामान्य शिक्षक ने। इसलिए एक्सपर्ट टीचर के तौर पर पूर्णकालिक शिक्षकों की भी नाईट स्कूल में नियुक्ति की जाती है। जिसके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती है.. इस तरह से किसी समय शिक्षक और नाईट स्कूल की शिक्षक की तनख्वाह में बहुत अंतर है।

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