Amravati: अमरावती संभाग बना किसान आत्महत्या का गढ़, आठ महीने में 698 ने लगाया मौत को गले

अमरावती: विदर्भ में किसान आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, खासकर पश्चिम विदर्भ यानि कि, अमरावती विभाग में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला लगातार जारी है। पिछले कुछ वर्षों में किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ी हैं। कभी मौसम की बेरुखी , तो कभी कर्ज का बढ़ता और और कभी बिमारियों के प्रकोप से फसल प्रभावित होने से किसानों में निराशा बढ़ती जाती है और इसी का परिणाम होता है किसान आत्महत्या।
किसान आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, इसलिए किसानों का मनोबल बढ़ाने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए सरकारी स्तर विविध योजनाएं भी शुरू की गई है, लेकिन इन सब के बाद भी किसान आत्महत्या पर लगाम नहीं लग पाया है।
इस साल 1 जनवरी से अगस्त तक अमरावती विभाग में 698 किसानों ने आत्महत्या की है. इसमें मात्र 218 किसान परिवार ही सरकार द्वारा आत्महत्या के मापदंड के अनुसार योग्य पाए गए है। जिनमें से केवल 63 आत्महत्या पीड़ितों को ही सहायता दी गई है। जबकि 215 आत्महत्या करने वाले किसानों को अयोग्य करार दिया गया है।
इस साल सबसे अधिक मार्च के महीने में किसान आत्महत्या किये है, जब खरीफ का मौसम शुरू हुआ तो मार्च महीने में सबसे ज्यादा 108 आत्महत्या हुईं . अब तो ये ही सवाल है कि किसान आत्महत्या का दौर कब थमेगा।
सरकारी मानदंडों के अनुसार, आत्महत्या करने वाले पात्र किसानों के परिवारों को सहायता प्रदान की जाती है। 30,000 रुपये की पहली किस्त का भुगतान आठ दिनों में किया जाता है। बाकी 70 हजार रुपये उनके खाते में जमा किया जाता हैं। शासन प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि 63 पात्र किसानों के परिवारों को मदद दी गई है. लेकिन बाकी के किसान परिवारों का क्या होगा। इस पर जवाब देने वाला कोई नहीं है।

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