Amravati: मरने वाला किसान हिन्दू नहीं? किसान आत्महत्या पर बच्चू कडु ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

अमरावती: प्रहार प्रमुख बच्चू कडु ने किसानों के मुद्दे पर मंगलवार को प्रदर्शन किया। किसान आत्महत्या पर काडु ने सरकार को घेरते हुए कई सवाल उठाये। कडु ने कहा, "पश्चिमी विदर्भ में एक साल में 1,151 किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन सरकार इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील नहीं दिखती। आत्महत्या करने वाले किसानों में हिन्दू किसानों का अनुपात बड़ा है। राज्य और केंद्र में हिंदुत्व की सरकार है। लेकिन मरने वाले किसान हिन्दू नहीं है क्या ऐसा सवाल भी पूछा?
किसानों और चरवाहों की विभिन्न मांगों को लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष बच्चू कडू और राष्ट्रीय समाज पार्टी के नेता महादेव जानकर के नेतृत्व में यहां संभागीय आयुक्त कार्यालय के सामने 'वाड़ा आंदोलन' शुरू किया गया है। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए बच्चू कडू ने सरकार की आलोचना की।
बच्चू कडू ने कहा कि, "सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है। आत्महत्या करने वाले किसानों में बड़ी संख्या हिंदुओं की है। फिर भी सवाल यह है कि केंद्र और राज्यों की हिंदुत्ववादी सरकारों को किसानों के प्रति कोई सहानुभूति क्यों नहीं है? हम किसानों, कृषि मजदूरों और चरवाहों के मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं। यह हमारा पहला विरोध प्रदर्शन नहीं है। हमारा जन्म विरोध करने के लिए हुआ है। चाहे हम सत्ता में रहें या नहीं, हम आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए लड़ने की अपनी भूमिका नहीं छोड़ेंगे। बच्चू कडू ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान देगी और पुलिस प्रदर्शनकारियों के काम में बाधा नहीं डालेगी।"
राज्य में चरवाहे न्याय की मांग को लेकर सरकार के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उनकी मांगों के संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन किसानों और चरवाहों के लिए किया जा रहा है। सोयाबीन, तुअर और कपास की कीमतें गिर गयी हैं। दूसरी ओर, बीज, रासायनिक खाद और उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में किसान अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे? कडू ने सरकार से यह सवाल भी पूछा है।
यह मार्च यहां संत गाडगे बाबा मैदान से शुरू हुआ। बच्चू कडू और महादेव जानकर चरवाहों का वेश धारण करके घोड़े पर सवार होकर संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचे। मार्च के दौरान कड़ी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था रखी गई थी। मार्च में बकरियों, भेड़ों और घोड़ों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया। इस बार 'वाड़ा आंदोलन' के माध्यम से कई मांगें की गई हैं, जैसे विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य सरकार द्वारा घोषित व्यापक ऋण माफी को तत्काल लागू करना किसानों के लिए राहत और अन्य राज्यों से चरने के लिए आने वाले चरवाहों पर प्रतिबंध।

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