Chandrapur: चंद्रपुर में फिर श्रेयवाद की लड़ाई; भोंगले, अहीर और धोटे में दावे-प्रतिदावे

चंद्रपुर: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने राजुरा विधानसभा क्षेत्र के सुदूर जिवती तहसील में 8,649.809 हेक्टेयर वन भूमि को वन भूमि से बाहर करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इस फैसले को लेकर जिले में श्रेयवाद की जंग शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा विधायक देवराव भोंगले ने सबसे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उन्होंने इस पर कैसे अमल किया। पूर्व कांग्रेस विधायक सुभाष धोटे ने दावा किया कि उन्होंने सरकार को यह फैसला लेने के लिए मजबूर किया। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने भी इस बात पर ज़ोर दिया। उन्होंने भी इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि उनकी वजह से ही यह फैसला लिया गया।
विधायक भोंगले ने 17 दिसंबर, 2024 के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में औचित्य का मुद्दा उठाते हुए वन भूमि पट्टियों के मुद्दे का समाधान करने का अनुरोध किया था। इसके बाद उन्होंने पत्राचार, बैठकों और आकर्षक सुझावों के माध्यम से प्रयास किए। भोंगले ने दावा किया कि इसी के माध्यम से यह निर्णय लिया गया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे के समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी।
दूसरी ओर, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष अहीर ने दावा किया कि उनकी वजह से यह समस्या सुलझ पाई। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक एडवोकेट संजय धोटे और सुदर्शन निमकर के साथ-साथ केंद्र और राज्य के नेताओं के सहयोग से उन्होंने इस समस्या का समाधान निकाला। इस पर कोरपना तहसील के भाजपा पदाधिकारियों ने भी अहीर का अभिनंदन किया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष धोटे ने अपने कार्यकाल में इस मुद्दे को उठाया था। वे अब भी इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। इसी मुद्दे पर यहाँ तीन नेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ मच गई है।

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