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विजय वडेट्टीवार को फंसाने की किशोर जोरगेवार की चाल; मुनगंटीवार का तंज


- पवन झबाडे

चंद्रपुर: कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार को बीजेपी में शामिल होने और मंत्री पद की पेशकश करने वाले विधायक किशोर जोरगेवार पर बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी का पुराना और वफादार कार्यकर्ता हूं। मंत्री पद का निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष लेते हैं। अगर कोई मजाक कर किसी को फंसाने का कार्यक्रम चला रहा है, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।” 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार और विधायक किशोर जोरगेवार के बीच की खटास किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद से दोनों के रिश्तों में खटास आ गई है। जब मंत्री पद की दौड़ से मुनगंटीवार बाहर हो गए, तो जोरगेवार समर्थकों में खुशी की लहर देखने को मिली। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बेहतर तालमेल बनाकर जोरगेवार ने अपनी स्थिति मजबूत की।

इसी कारण वडेट्टीवार और जोरगेवार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री फडणवीस प्रमुख अतिथि के तौर पर शामिल हुए, जबकि मुनगंटीवार को निमंत्रण पत्र में दुय्यम दर्जा दिया गया। इससे नाराज होकर मुनगंटीवार ने कार्यक्रम से दूरी बनाई।

उन्होंने जोरगेवार का नाम लिए बिना तंज कसते हुए कहा, “किसी पेड़ को बड़ा करने के लिए खाद-पानी जरूरी नहीं है, बल्कि उसमें खुद के गुण होने चाहिए।”

कार्यक्रम के दौरान जोरगेवार ने वडेट्टीवार को बीजेपी में शामिल होने का निमंत्रण दिया और कहा, “यह जिला मंत्रियों से खाली है। अगर आप आएंगे, तो हम आपको मंत्री बना देंगे।” 

जोरगेवार की इस पेशकश पर मुनगंटीवार ने मीडिया के सामने चुटकी लेते हुए कहा, “मंत्री पद किसे देना है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करते हैं। पार्टी की यही कार्यप्रणाली है। अगर पार्टी के संविधान में कोई बदलाव हुआ है, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।”

किशोर जोरगेवार, जो पहले निर्दलीय विधायक थे, उनको महाविकास अघाड़ी में शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए। हालांकि, मुनगंटीवार बिरजू पाझारे को टिकट देने के पक्ष में थे, लेकिन जोरगेवार को टिकट मिल गया। पाझारे ने बगावत कर दी, और जोरगेवार समर्थकों का मानना है कि इस बगावत के पीछे मुनगंटीवार का हाथ था। तब से दोनों नेताओं के बीच दरार बढ़ गई है, और वे मौका मिलने पर एक-दूसरे पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ते। मुनगंटीवार जहां लगातार सात बार विधायक चुने गए हैं, वहीं जोरगेवार दूसरी बार विधायक बने हैं।