महाराष्ट्र जिला परिषद चुनाव में नया आरक्षण रोटेशन नियम, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा

मुंबई: महाराष्ट्र में आगामी जिला परिषद चुनावों को लेकर लागू किए गए नए आरक्षण रोटेशन नियम पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ताओं ने इस नियम को संविधान के प्रावधानों के विपरीत और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार द्वारा लागू किया गया नया नियम संविधान के प्रावधानों के विपरीत है और इससे मतदाताओं व जनप्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उनका कहना है कि पहले हर तीन या छह साल पर आरक्षण रोटेशन की प्रक्रिया होती थी, लेकिन अब सरकार ने नया आदेश जारी कर 2025 के चुनाव को ‘पहला चुनाव’ मानने का प्रावधान कर दिया है।
याचिकाओं में विशेष रूप से नियम 12 पर आपत्ति जताई गई है। इस नियम के तहत 1996 और 2002 के बीच हुए चुनावों को मान्य नहीं माना जाएगा, जिससे भविष्य की पूरी आरक्षण प्रक्रिया प्रभावित होगी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह प्रावधान जानबूझकर राजनीतिक लाभ के लिए जोड़ा गया है।
वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि यह बदलाव चुनावी प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट और व्यवस्थित करने के लिए किया गया है। सरकार का पक्ष है कि नए आदेश के तहत जिला परिषद चुनावों में आरक्षण का निर्धारण पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। हाईकोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब सबकी निगाहें अदालत के उस अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जो आगामी जिला परिषद चुनावों की दिशा और स्वरूप तय करेगा।
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