Bhandara:आजादी के सात दशक बाद गांव में पहुंची लालपरी, ग्रामीणों ने किया जोरदार स्वागत

भंडारा: भंडारा जिले के पवनी तालुका का छोटा सा गाँव फनोली आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। वह गाँव जहाँ आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी बस सुविधा उपलब्ध नहीं थी, वहाँ आखिरकार राज्य परिवहन की ‘लालपरी’ बस ने पहली बार प्रवेश किया। इस दृश्य ने केवल धूल भरे रास्तों को ही नहीं, बल्कि वर्षों से बस सेवा की राह तकते ग्रामीणों के दिलों को भी भिगो दिया।
गाँव की यह स्थिति वर्षों से बनी हुई थी। स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चलकर पड़ोसी गाँव तक जाना पड़ता था। बुज़ुर्ग, महिलाएँ और बीमारों को इलाज के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक बार-बार निवेदन और ज्ञापन दिए गए, लेकिन समाधान नहीं मिला।
ग्रामीणों का कहना था कि, "हमारे बच्चों को स्कूल पहुँचाने के लिए खेतों और जंगलों से होकर पैदल जाना पड़ता था। बारिश हो या धूप, कोई विकल्प नहीं था। कई बार दुर्घटनाएँ भी हुईं, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई।"
जब देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा था, तब भी फनोली जैसे गाँव उपेक्षा की मार झेल रहे थे। इस बात की कसक ग्रामीणों के मन में गहरी थी। लेकिन उम्मीद का दिया बुझा नहीं। गाँव के युवाओं ने प्रयास जारी रखे, सोशल मीडिया और स्थानीय मंचों पर अपनी आवाज़ बुलंद की।
कई वर्षों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार वह दिन आया, जब लालपरी यानी महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बस फनोली गाँव की सीमा में दाखिल हुई। यह खबर जैसे ही गाँव में फैली, बच्चे, बूढ़े, महिलाएँ सभी रास्ते पर आ गए। ढोल-ताशों के साथ बस का स्वागत किया गया। ग्रामीणों ने फूल बरसाकर, नारियल फोड़कर बस चालक और परिवहन अधिकारियों का स्वागत किया।
फनोली के सरपंच ने कहा, "यह केवल बस नहीं है, यह गाँव के विकास का पहला पहिया है। हम अब शहरों से जुड़ पाएंगे, बच्चों की पढ़ाई आसान होगी और बुज़ुर्गों का इलाज समय पर हो सकेगा।"
इस सेवा से अब फनोली गाँव पवनी, भंडारा और नागपुर जैसे शहरों से सीधे जुड़ गया है। विद्यार्थियों के लिए यह सुविधा शिक्षा की दिशा में नया रास्ता खोलेगी, वहीं महिलाओं और किसानों के लिए बाजारों तक पहुँचना भी आसान हो गया है।

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