logo_banner
Breaking
  • ⁕ 2 दिसंबर को होगी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग, 3 दिसंबर को मतगणना, राज्य चुनाव आयोग ने की घोषणा ⁕
  • ⁕ गरीब बिजली उपभोक्ताओं को 25 साल तक मिलेगी मुफ्त बिजली, राज्य सरकार की स्मार्ट योजना के लिए महावितरण की पहल ⁕
  • ⁕ उद्धव ठाकरे और चंद्रशेखर बावनकुले में जुबानी जंग; भाजपा नेता का सवाल, कहा - ठाकरे को सिर्फ हिंदू ही क्यों नजर आते हैं दोहरे मतदाता ⁕
  • ⁕ ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 1 करोड़ 8 लाख की ठगी, साइबर पुलिस थाने में मामला दर्ज ⁕
  • ⁕ Amravati: दरियापुर-मुर्तिजापुर मार्ग पर भीषण दुर्घटना, तेज गति से आ रही कार की टक्कर में दो लोगों की मौके पर ही मौत ⁕
  • ⁕ Kamptee: रनाला के शहीद नगर में दो माह के भीतर एक ही घर में दूसरी चोरी, चोर नकदी व चांदी के जेवरात लेकर फरार ⁕
  • ⁕ Yavatmal: भाई ने की शराबी भाई की हत्या, भतीजा भी हुआ गिरफ्तार, पैनगंगा नदी के किनारे मिला था शव ⁕
  • ⁕ जिला कलेक्टरों को जिला व्यापार में सुधार के लिए दिए जाएंगे अतिरिक्त अधिकार ⁕
  • ⁕ Amravati: अमरावती जिले में नौ महीनों में 60 नाबालिग कुंवारी माताओं की डिलीवरी ⁕
  • ⁕ विश्व विजेता बनी भारतीय महिला क्रिकेट टीम, वर्ल्ड कप फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया ⁕
Bhandara

Bhandara:आजादी के सात दशक बाद गांव में पहुंची लालपरी, ग्रामीणों ने किया जोरदार स्वागत


भंडारा: भंडारा जिले के पवनी तालुका का छोटा सा गाँव फनोली आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। वह गाँव जहाँ आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी बस सुविधा उपलब्ध नहीं थी, वहाँ आखिरकार राज्य परिवहन की ‘लालपरी’ बस ने पहली बार प्रवेश किया। इस दृश्य ने केवल धूल भरे रास्तों को ही नहीं, बल्कि वर्षों से बस सेवा की राह तकते ग्रामीणों के दिलों को भी भिगो दिया।

गाँव की यह स्थिति वर्षों से बनी हुई थी। स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चलकर पड़ोसी गाँव तक जाना पड़ता था। बुज़ुर्ग, महिलाएँ और बीमारों को इलाज के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक बार-बार निवेदन और ज्ञापन दिए गए, लेकिन समाधान नहीं मिला।

ग्रामीणों का कहना था कि, "हमारे बच्चों को स्कूल पहुँचाने के लिए खेतों और जंगलों से होकर पैदल जाना पड़ता था। बारिश हो या धूप, कोई विकल्प नहीं था। कई बार दुर्घटनाएँ भी हुईं, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई।"

जब देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा था, तब भी फनोली जैसे गाँव उपेक्षा की मार झेल रहे थे। इस बात की कसक ग्रामीणों के मन में गहरी थी। लेकिन उम्मीद का दिया बुझा नहीं। गाँव के युवाओं ने प्रयास जारी रखे, सोशल मीडिया और स्थानीय मंचों पर अपनी आवाज़ बुलंद की।

कई वर्षों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार वह दिन आया, जब लालपरी यानी महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बस फनोली गाँव की सीमा में दाखिल हुई। यह खबर जैसे ही गाँव में फैली, बच्चे, बूढ़े, महिलाएँ सभी रास्ते पर आ गए। ढोल-ताशों के साथ बस का स्वागत किया गया। ग्रामीणों ने फूल बरसाकर, नारियल फोड़कर बस चालक और परिवहन अधिकारियों का स्वागत किया।

फनोली के सरपंच ने कहा, "यह केवल बस नहीं है, यह गाँव के विकास का पहला पहिया है। हम अब शहरों से जुड़ पाएंगे, बच्चों की पढ़ाई आसान होगी और बुज़ुर्गों का इलाज समय पर हो सकेगा।"

इस सेवा से अब फनोली गाँव पवनी, भंडारा और नागपुर जैसे शहरों से सीधे जुड़ गया है। विद्यार्थियों के लिए यह सुविधा शिक्षा की दिशा में नया रास्ता खोलेगी, वहीं महिलाओं और किसानों के लिए बाजारों तक पहुँचना भी आसान हो गया है।