logo_banner
Breaking
  • ⁕ 2 दिसंबर को होगी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग, 3 दिसंबर को मतगणना, राज्य चुनाव आयोग ने की घोषणा ⁕
  • ⁕ गरीब बिजली उपभोक्ताओं को 25 साल तक मिलेगी मुफ्त बिजली, राज्य सरकार की स्मार्ट योजना के लिए महावितरण की पहल ⁕
  • ⁕ उद्धव ठाकरे और चंद्रशेखर बावनकुले में जुबानी जंग; भाजपा नेता का सवाल, कहा - ठाकरे को सिर्फ हिंदू ही क्यों नजर आते हैं दोहरे मतदाता ⁕
  • ⁕ ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 1 करोड़ 8 लाख की ठगी, साइबर पुलिस थाने में मामला दर्ज ⁕
  • ⁕ Amravati: दरियापुर-मुर्तिजापुर मार्ग पर भीषण दुर्घटना, तेज गति से आ रही कार की टक्कर में दो लोगों की मौके पर ही मौत ⁕
  • ⁕ Kamptee: रनाला के शहीद नगर में दो माह के भीतर एक ही घर में दूसरी चोरी, चोर नकदी व चांदी के जेवरात लेकर फरार ⁕
  • ⁕ Yavatmal: भाई ने की शराबी भाई की हत्या, भतीजा भी हुआ गिरफ्तार, पैनगंगा नदी के किनारे मिला था शव ⁕
  • ⁕ जिला कलेक्टरों को जिला व्यापार में सुधार के लिए दिए जाएंगे अतिरिक्त अधिकार ⁕
  • ⁕ Amravati: अमरावती जिले में नौ महीनों में 60 नाबालिग कुंवारी माताओं की डिलीवरी ⁕
  • ⁕ विश्व विजेता बनी भारतीय महिला क्रिकेट टीम, वर्ल्ड कप फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया ⁕
Bhandara

Bhandara: बेमौसम बारिश से ख़ुरमा के बाग़ तबाह, बढ़ा फफूंद जनित रोगों का प्रकोप; किसान ने मुआवजा से की मांग


भंडारा: भंडारा ज़िले में बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों के साथ-साथ अब बाग़वानों की उम्मीदें भी मिट्टी में मिलती नज़र आ रही हैं। लगातार बारिश और फफूंद जनित रोगों के चलते ख़ुरमा की फसल बर्बादी के कगार पर है, जिससे युवा किसानों को भारी आर्थिक झटका लगा है।

भंडारा ज़िले के साकोली तालुका के लावारी गांव में युवा किसान अनिल किरनापुरे ने पारंपरिक धान की खेती के बजाय ख़ुरमा (जापानी फल) का बाग़ लगाकर खेती में नया प्रयोग किया था। इस साल बाग़ से पहली बार अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन पिछले हफ़्ते हुई बेमौसम बारिश और फफूंद जनित रोगों के प्रकोप ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया।

लगातार नमी और संक्रमण के कारण बाग़ में लगे फल सड़ने लगे हैं, जिससे उन्हें बाजार में बेचना मुश्किल हो गया है। किसान अनिल किरनापुरे ने बताया कि इस नुकसान से युवा किसानों का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बाग़ों का सर्वे कर नुकसान का आकलन किया जाए और किसानों को कम से कम 50 हज़ार रुपये प्रति बाग़ तथा 2 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि दी जाए।