उपभोक्ता पंचायत का आरोप, दालों की कीमतों पर बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व; तुअर दाल आम आदमी की पहुंच से बाहर

नागपुर: चुनाव के दौरान बड़ी कंपनियों के प्रभुत्व के कारण दालों, मुख्य रूप से अरहर दाल की कीमत गरीबों, आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई है. ये कंपनियां केंद्र सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. उपभोक्ता पंचायत ने अब इन कंपनियों के गोदामों, दाल मील और कोल्ड स्टोरेज पर छापेमारी कर स्टॉक रजिस्टर का निरीक्षण कर सरकार से सस्ती दर पर दाल उपलब्ध कराने की मांग की है.
उपभोक्ता पंचायत का आरोप है कि देश में दालों का स्टॉक केवल कुछ ही कंपनियों के पास है, इसलिए वे मनमाने ढंग से कीमत बढ़ाकर मुनाफा कमा रही हैं. महंगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.
नहीं होती कोई जांच
पंचायत का आरोप है कि इन कंपनियों के स्टॉक रजिस्टर की न तो कोई जांच करता है और न ही उसे जब्त करता है. इन कारणों से थोक बाजार में तुअर दाल की कीमत एक महीने में गुणवत्ता के आधार पर 25 रुपये प्रति किलो बढ़कर 160 से 190 रुपये हो गई है. जबकि खुदरा बाजार में कीमतें ऊंची हैं.
सिर्फ छोटे व्यापारियों की जांच
व्यापारियों का आरोप है कि सरकारी कानून सिर्फ छोटे व्यापारियों के लिए हैं, बड़ी कंपनियों के लिए नहीं. सरकार ने बड़ी कंपनियों को उपभोक्ताओं को लूटने का खुला लाइसेंस दे दिया है. इन कंपनियों ने अनाज और दालों के कारोबार पर कब्जा कर लिया है. दूसरी ओर, दालों की कीमत को नियंत्रित करने के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति अधिकारी छोटे व्यापारियों के स्टॉक रजिस्टर की जाँच करते हैं. उसे देखते हुए बड़ी कंपनियों के स्टॉक रजिस्टर की जांच करने की जरूरत है. केंद्र और राज्य सरकारों के जटिल कानूनों और नियमों के कारण छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.

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