Chandrapur: चंद्रपूर मनपा में नया विवाद; आयुक्त के ‘अलिखित फरमान’ से अधिकारी-कर्मचारी परेशान
चंद्रपुर: महानगर पालिका के नवनियुक्त आयुक्त अकनुरी नरेश के कार्यशैली के कारण अन्य अधिकारी और कर्मचारी महज कुछ ही दिनों में परेशान हो गए हैं। ऐन चुनावी माहौल में आयुक्त बनाम कर्मचारी का टकराव और अधिक तीव्र होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
नए आयुक्त अकनुरी नरेश भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं। चंद्रपुर महानगरपालिका को पहली बार आयुक्त के रूप में आईएएस स्तर का अधिकारी मिला है। शासन की ओर से उम्मीद जताई गई थी कि उनके आने से प्रशासनिक कामकाज में सुसूत्रता आएगी, इसी उद्देश्य से उन्हें चंद्रपुर भेजा गया। लेकिन महज आठ दिनों में ही महानगरपालिका में अलग ही तस्वीर देखने को मिल रही है।
आयुक्त ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कार्यालय में आने का समय तो निर्धारित कर दिया है, लेकिन आठ घंटे की ड्यूटी पूरी होने के बाद घर जाने के समय को लेकर कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की है। नियमानुसार कर्मचारियों के लिए कार्यालय में उपस्थित होने का समय सुबह 9.45 बजे और ड्यूटी समाप्त होने का समय शाम 6.15 बजे है। इसके बावजूद कर्मचारियों को रात 8 से 9 बजे तक कार्यालय में ही रुकना पड़ रहा है। 15 दिसंबर को आयुक्त ने सुबह 9.45 बजे कार्यालय में उपस्थित न रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर ही रोक दिया।
आरोप है कि इसके बाद उन्होंने एक तरह का अलिखित फरमान जारी किया कि जब तक वे स्वयं कार्यालय में बैठे हैं, तब तक कोई भी अधिकारी या कर्मचारी घर न जाए। इसके चलते कर्मचारियों को देर रात तक कार्यालय में बैठना मजबूरी बन गया है। कई कर्मचारियों के पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे होने के बावजूद आयुक्त की ओर से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई जा रही है, ऐसा कर्मचारियों का कहना है। “हम करें सो कानून” जैसी एकाधिकारवादी भूमिका अपनाने का आरोप भी लगाया जा रहा है। सवाल उठाया जा रहा है कि नियमों की आड़ में अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की मूलभूत स्वतंत्रता का हनन करने का अधिकार आखिर किसने दिया?
महानगर पालिका चुनाव घोषित हो चुके हैं और आयुक्त नए हैं। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना काम करना उनके लिए भी कठिन हो सकता है। अपनी मर्जी से नियम लागू करने की नीति कई कर्मचारियों को स्वीकार नहीं है। व्यवहार से यह संदेश जा रहा है कि आयुक्त स्वयं को सर्वज्ञानी और अन्य कर्मचारियों को अज्ञानी समझ रहे हैं, जिससे आयुक्त और कर्मचारियों के बीच टकराव ऐन चुनावी समय में चरम पर पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनावी दौर में यह संघर्ष कौन सा मोड़ लेता है।
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