सुप्रीम कोर्ट सख्त: समय रैना, रणवीर अलाहबादिया समेत छह यूट्यूबर्स को दिव्यांगों का मज़ाक उड़ाने पर सार्वजनिक माफ़ी का आदेश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लोकप्रिय यूट्यूबर और कंटेंट क्रिएटर्स समय रैना (Samay Raina), रणवीर अलाहबादिया (Ranveer Allahabadia) और अन्य को फटकार लगाते हुए आदेश दिया है कि वे अपने यूट्यूब चैनलों और पॉडकास्ट पर सार्वजनिक माफी प्रकाशित करें। इन सभी पर आरोप था कि उन्होंने अपने शो और पॉडकास्ट में दिव्यांग व्यक्तियों का मज़ाक उड़ाया और उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाई।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर किया जाने वाला कंटेंट अगर किसी समुदाय का अपमान करता है, तो उसे ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आज़ादी’ (Freedom of Speech) का संरक्षण नहीं मिलेगा। अदालत ने कहा कि जब कोई इन्फ्लुएंसर अपनी पहुंच का इस्तेमाल व्यावसायिक (commercial) लाभ के लिए करता है, तो उस पर ज़िम्मेदारी भी अधिक होती है। कोर्ट ने टिप्पणी की ,"यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। यह दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा पर हमला है और इसका समाज पर गलत असर पड़ता है।"
किन लोगों को माफ़ी माँगने का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ समय रैना और रणवीर अलाहबादिया ही नहीं बल्कि अन्य कॉमेडियंस और कंटेंट क्रिएटर्स विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, निशांत जगदीश तंवर, सोनाली ठक्कर (देसाई) को भी बिनशर्त माफी माँगने का आदेश दिया है।
क्या करना होगा इन्फ्लुएंसर्स को?
अदालत ने आदेश दिया कि, सभी संबंधित यूट्यूबर्स और कॉमेडियंस को अपने चैनलों पर सार्वजनिक माफी प्रदर्शित करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि यह माफ़ी सिर्फ औपचारिक न होकर सच्ची और साफ़ तौर पर दिव्यांग समुदाय से होनी चाहिए। इन्फ्लुएंसर्स को शपथपत्र (affidavit) देकर यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आगे वे अपनी सामग्री में दिव्यांग व्यक्तियों या किसी कमजोर वर्ग का अपमान नहीं करेंगे।
भविष्य के लिए चेतावनी
अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी निर्देश दिया कि वह सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल होने वाली भाषा और सामग्री के लिए ठोस मार्गदर्शक सिद्धांत (guidelines) तैयार करे। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर भविष्य में इस तरह की असंवेदनशील टिप्पणियाँ दोहराई जाती हैं तो कठोर कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
कुछ महीने पहले "India’s Got Latent" नामक पॉडकास्ट और शो में दिव्यांग बच्चों और अंध व्यक्तियों को लेकर अपमानजनक टिप्पणियाँ की गई थीं। इस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और एक सार्वजनिक हित याचिका (PIL) दायर की गई। अदालत ने मई में ही इन क्रिएटर्स को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।

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