logo_banner
Breaking
  • ⁕ देश के मोस्ट वांटेड, एक करोड़ रुपये के इनामी खूंखार माओवादी कमांडर माडवी हिडमा का हुआ एनकाउंटर ⁕
  • ⁕ मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिण योजना की ई-केवाईसी पूरी करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ी ⁕
  • ⁕ Bhandara: राकांपा विधायक राजू कारेमोरे की पत्नी और पूर्व सांसद मधुकर कुकड़े तुमसर में बागी उम्मीदवार की रैली में हुए शामिल ⁕
  • ⁕ Ramtek: बगावत के कारण भाजपा और शिंदेसेना के अधिकृत उम्मीदवारों की सीट फंसी ⁕
  • ⁕ Akola: अकोला नगर पालिका के वार्डों में नए आरक्षण परिवर्तन की घोषणा, मनपा आयुक्त ने दी परिवर्तन की जानकारी ⁕
  • ⁕ मनपा की ई-मोबिलिटी सेवा को मिली बड़ी मजबूती, नागपुर की ‘आपली बस’ फ्लीट में शामिल हुईं नई 29 पीएम ई-बसें ⁕
  • ⁕ विदर्भ में निकाय चुनाव में जबरदस्त उत्साह, हर जिले में रिकॉर्ड संख्या में मैदान में उम्मीदवार ⁕
  • ⁕ Chandrapur: चंद्रपुर में बगावत के बाद फिर भाजपा में ब्रिजभूषण पाझारे, निलंबन रद्द कर पुनः पार्टी में किया गया शामिल ⁕
  • ⁕ Gondia: जिले में धान क्रय केंद्र शुरू नहीं होने से किसान चिंतित, किसानों ने जल्द से जल्द खरीदी केंद्र शुरू करने की मांग ⁕
  • ⁕ जीरो माइल मेट्रो टनल परियोजना: उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान, अदालत ने महा मेट्रो से अनुमतियों और सुरक्षा मानकों की मांगी जानकारी ⁕
Maharashtra

धूमालवाड़ी गांव ने प्राप्त किया राज्य के पहले ‘फ्रूट विलेज’ होने का गौरव


सतारा: सतारा जिले के फलटन तहसील के धूमलवाड़ी गांव ने राज्य का पहला फल गांव होने का सम्मान अर्जित किया है। इस गांव के किसान 1980 से ही बाग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान में यहां ढाई सौ हेक्टेयर से अधिक बाग-बगीचे हैं। इस गाँव का आधुनिक और टिकाऊ कृषि का यह प्रयोग न केवल राज्य बल्कि देश के किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प बन गया है।

दो सौ घरों वाले धूमलवाड़ी गांव की आबादी करीब 1300 है। गाँव में 1716 हेक्टेयर भूमि है और इसमें से अधिकांश भूमि पहाड़ी है। उपजाऊ भूमि, बगीचों के लिए अनुकूल प्राकृतिक और भौगोलिक वातावरण के कारण 1980 में पहली बार यहां अनार की खेती शुरू हुई। इसकी सफलता के बाद अनार की खेती के क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई। इस दौरान अनार पर तेला और झुलसा रोग लगने के कारण किसानों ने अन्य विकल्पों का परीक्षण शुरू कर दिया।

अब 275 हेक्टेयर क्षेत्र में अंगूर, अनार, अमरूद, सीताफल, आंवला, इमली, अंजीर, केला, बैंगनी, ड्रैगन फ्रूट, नींबू, संतरा, नारियल, आम, पपीता, लीची, सेब, एप्पल बोर, खजूर, ब्लैकबेरी, शहतूत की खेती की जाती है। साथ ही फणस, करवंद, स्टार फ्रूट, वॉटर एप्पल समेत 20 प्रकार के फलों के पेड़ों की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है।

छोटी जोत वाले किसान तटबंधों पर फलों के पेड़ लगा रहे हैं। बगीचों में ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जा रहा है और अधिकांश किसान जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं।

गुणवत्ता, स्वाद और गुणवत्ता के कारण यहां के फलों की बाजार में काफी मांग है। उत्पादित फल सीधे बांध पर ही बेचे जाते हैं और किसानों को हर साल लगभग 25 करोड़ की आय हो रही है।

बाग-बगीचों के इस सफल प्रयोग से गांव के 70 प्रतिशत युवाओं को गांव में ही रोजगार मिल गया है। अब गांव की ये युवा पीढ़ी फल प्रसंस्करण उद्योग खड़ा करने के लिए आगे आ रही है।