निकाय चुनाव में बढ़ते आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 50 प्रतिशत को किया पार तो रोक देंगे चुनाव: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में निकाय चुनाव को लेकर स्थिति एक बार फिर गंभीर हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए साफ़ कहा है कि यदि स्थानीय निकायों में आरक्षण 50% की सीमा से अधिक लागू किया गया, तो चुनाव प्रक्रिया तुरंत रोक दी जाएगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 2022 की बांठिया आयोग रिपोर्ट आने तक किसी भी तरह की नई व्यवस्था स्वीकार नहीं होगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की अदालत ने नगर निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार को सख्त संदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि यदि आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा की गई, तो निकाय चुनाव रोके जा सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2022 की बांठिया आयोग रिपोर्ट आने से पहले की स्थिति को बनाए रखना अनिवार्य है, ताकि आरक्षण सीमा पर कोई विवाद न हो।
सरकार ने दावा किया था कि प्रदेश के 40 से अधिक निकायों में आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं जा रही है, लेकिन अदालत ने इस दावे पर सवाल उठाते हुए सरकार को विस्तृत स्पष्टीकरण देने को कहा। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यदि जातिगत या वर्ग आधारित आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा पार करता है, तो यह संविधान के जनरल प्रिंसिपल्स के खिलाफ माना जाएगा।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि बांठिया आयोग की रिपोर्ट आने से पहले की स्थिति के अनुसार ही चुनाव होंगे। साथ ही अधिकारी वर्ग को आदेशों के पालन और समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को अनिवार्य बताया गया। इसके अलावा अदालत ने नामांकन प्रक्रिया पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि नियमों के पालन का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों पर है और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद राज्य सरकार के सामने आरक्षण सीमा और चुनाव कार्यक्रम में संतुलन बनाए रखने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
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