राज्य में सभी सरकारी कार्यालयों को मराठी भाषा में व्यवहार करना हुआ अनिवार्य, सरकार ने जारी किया आदेश, अवमानना करने पर होगी कार्रवाई
मुंबई: राज्य मंत्रिमंडल ने सभी सरकारी कार्यालयों को मराठी भाषा में व्यवहार अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है। सरकार ने परिपत्र जारी कर महाराष्ट्र राज्य मराठी भाषा नीति के तहत अगले 25 वर्षों में मराठी भाषा को ज्ञान और रोजगार की भाषा के रूप में स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में यह आदेश जारी किया है।
इस आदेश में कहा गया है कि महाराष्ट्र राज्य में सरकारी खरीद और सरकारी अनुदान के माध्यम से खरीदे गए कंप्यूटर कीबोर्ड पर रोमन लिपि के साथ मराठी देवनागरी लिपि के अक्षर भी मुद्रित होना आवश्यक है। आदेश के अनुसार, सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी कार्यालयों, स्थानीय स्व-सरकारी निकायों, सरकारी निगमों, सरकारी सहायता प्राप्त कार्यालयों में आने वाले आगंतुकों (राज्य के बाहर से विदेशियों और अमराठी व्यक्तियों को छोड़कर) के साथ मराठी भाषा में संवाद करना अनिवार्य होगा। साथ ही दफ्तरों के सामने मराठी भाषा के इस्तेमाल और मराठी में बातचीत को लेकर बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा।
इसी के साथ राज्य के सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ सभी बैंकों आदि में नोटिस बोर्ड, अधिकारियों के नाम बोर्ड, आवेदन पत्र मराठी में रखना अनिवार्य होगा। सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों के साथ-साथ निगमों, बोर्डों, सरकार द्वारा अनुमोदित उद्यमों, सरकार द्वारा निर्धारित कंपनियों के मराठी नामों का उपयोग संस्थानों के कामकाज में किया जाएगा। जारी आदेश अनुसार, नये नामों का निर्धारण करते समय मराठी में केवल एक ही नाम निर्धारित किया जायेगा। इसे अंग्रेजी में अनुवाद किए बिना केवल रोमन लिपि में ही लिखा जाएगा। द्विभाषी नाम वाले प्रतिष्ठान अब मराठी नाम से संचालित होंगे।
आदेश में कहा गया है कि कार्यालयों में मराठी भाषा में संवाद नहीं करने वाले सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के दोषी पाए जाने पर कार्यालय प्रमुख या विभागाध्यक्ष संबंधित सरकारी अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।
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